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७२२. चित्रसेन पद्मावती चौपई, भावसागर / भावप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं,
'आदि-दानं सुपात्रे विसुद्धं च शीलं...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७२३. चित्रसेन पद्मावती चौपई, यशोलाभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रथम नमुं
श्री आदिजिन...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७२४. चित्रसेन पद्मावती चौपई, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, रास चौपई, राजस्थानी,
१७१४ बीकानेर, 'आदि-श्री रिसहेसर पयकमल..., अन्त-भवियण साचौ इक धर्म भाई...',
अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७२५. चित्रसेन पद्मावती रास, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, रास चौपई,
राजस्थानी, १७वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २१८ ७२६. चिन्तामणि पार्श्व स्तोत्र, जिनलब्धिसूरि / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि
यन्महिमाकृतसेकैः पल्लवितुं भुवन..., अन्त–इति कृतिनुति भक्तिर्जागुरुकोरु... गा. ९', अ.,
ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ७२७. चैत्य परिपाटी, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४८७, आदि-मनोरंगि
मई आपणइ बुद्धि पामी..., अन्त-जे मइ चउइ सत्यासिय वरसिहि...', अ., पुण्यविजय
संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२१) ७२८. चैत्य वन्दनक, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि , विधि, प्राकृत, १०८० जालौर, अ., ह. जिनभद्रसूरि
ज्ञान भं. जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४०९ ७२९. चैत्य वन्दन कुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-नमिऊण
मणंत गुणं..., अन्त–सोमेधम्म गुरु सया गुणिगुरु...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ७३०. चैत्यवन्दन कुलक टिप्पणक, लब्धिनिधानोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, विधि, संस्कृत,
१४वीं, अ. ७३१. चैत्यवन्दन कुलक वृत्ति, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, विधि, संस्कृत, १३८३ बाड़मेर,
'अन्त–अर्ह श्रेय:पय:सलिलराशिविकाश हेतुः...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ७३२. चैत्यवन्दन कुलक वृत्ति हिन्दी अनुवाद, सज्जनश्री प्र. / ज्ञानश्री, विधि, हिन्दी, २१वीं, मु.
पुण्यस्वर्ण ज्ञान पीठ, जयपुर ७३३. चैत्यवन्दन चतुर्विंशतिका स्वोपज्ञ टीका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र,
संस्कृत, १८५६ नागपुर, 'मूल का आदि-सद्भक्त्या नतमौलिनिर्जवर..., अन्तवरेण्यगुणवारिधिः..., 'टीका का आदि-नमस्कृत्य जिनं..., अन्त–इत्थं चतुर्विंशतिसङ्घख्यैव..
अ., ह. विनय. संग्रह ७३४. चैत्यवन्दन चतुर्विंशतिका (क्षमाकल्याण) हिन्दी अनुवाद, बुद्धिश्री / दयाश्री, स्तोत्र,
हिन्दी, २०वीं, मु. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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