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७०९. चाचरी, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, विधि, अपभ्रंश, १३वीं, 'आदि-भगति करवि वहु
रिसह जिण..., अन्त–वयणि जिणेसरसूरि गुरु...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर
कविओ भाग-३, पृ. ४०० ७१०. चाणिक्यनीति स्तबक, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, नीति, राजस्थानी, १८वीं, अ. ७११. चारकषाय सन्धि, विद्याकीर्त्ति उ० / पुण्यतिलक, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि
जिण चउवीस नमी करी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७१२. चारित्र मनोरथ माला, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वजगणि, विधि, राजस्थानी, १६वीं, आदि
श्री आदीसर पय नमी..., अन्त-चरण मनोरथ मालिका...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं.
जैसलमेर ८४७, अभय ग्र., बीकानेर ७१३. चित्रकूटीय-पार्श्वचैत्य-प्रशस्तिः (कमलदलगर्भम् ), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, काव्य,
संस्कृत, १२वीं, आदि-निवा॑णार्थी विधत्ते..., अन्त-क्षीरनीरधिकल्लोल...', मु., जिनवल्लभसूरि
ग्रन्थावली, पृ. १५० ७१४. चित्रकूटीय-वीरचैत्य-प्रशस्तिः (अष्टसप्ततिका), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, काव्य,
__ संस्कृत, ११६३ चित्तौड़, 'आदि-स्वयम्भुवोक्षावलियाम..., अन्त–चक्रे श्रीजिनवल्लभेन
___ गणिना...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १३९ ।। ७१५. चित्रलेखा चौपई, दयासागर / जीवराज पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६९९ दिल्ली,
अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर ७१६. चित्रसम्भूति चौढालिया, हीर उदयप्रमोद / सूरचन्द उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७१९
जैसलमेर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२१५ ७१७. चित्रसम्भूति रास, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ.,
उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२१५ ७१८. चित्रसम्भूति सन्धि, जिनगुणप्रभसूरि बेगड / जिनेश्वरसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं
जैसलमेर, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७१९. चित्रसम्भूति सन्धि, नयप्रमोदगणि / हीरोदय, रास चौपई, राजस्थानी, १७१९ जैसलमेर,
'आदि-श्रीवीतराग गुण वरन..., अन्त–नवलई हो मुनिवर माहरउ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि
ज्ञान मन्दिर, कोबा ६८११, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०२२ ७२०. चित्रसेन पद्मावती चौपई, उदयरत्नगणि / जिनसागरसूरि शिष्य, रास चौपई, राजस्थानी,
१६९७ थम्भनयर, 'आदि-प्रणमुंग्यान दंसण चरित..., अन्त–खरतरगच्छ मांहे खरा...', अ.,
ह. हरिसागरसूरि ज्ञान मन्दिर पालीताणा, अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर ७२१. चित्रसेन पद्मावती चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं,
अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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