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________________ निरुक्त कोश ५३ २८४. उच्चार (उच्चार) उच्चवइ सरीराओ उच्चारो।' (आनि ३२१) जो शरीर से तीव्र गाति से बाहर निकलता है, वह उच्चार/ मल है। २८५. उज्जाण (उद्यान) ऊवं यानं उद्यानम् । (सूचू १ पृ८८) जिसको प्राप्त करने के लिए क्रमशः ऊंचाई पर चढ़ना पड़ता है, वह उद्यान/उपवन है। उद्यान्ति यत्र तच्चम्पकादितरुखण्डमण्डितमुद्यानम् । (अनुद्वामटी प २२) जो ऊंचाई पर हो तथा एक ही प्रकार के वृक्षों से मंडित हो, वह उद्यान है। २८६. उज्जुकड (ऋजुकृत) रिजु---संजमो, रिजें करोतीति उज्जुकडो। (आचू पृ २३) ___ जो ऋजु/संयम करता है, वह ऋजुकृत/संयमी है । २८७. उज्जुदंसि (ऋजुशिन्) उज्जु-संजमो समया वा, उज्जू रागद्दोसपक्खविरहिता अविग्गहगती वा, उज्जू मोक्खमग्गो, तं पस्संतीति उज्जुदंसिणो। (दअचू पृ ६३) जो ऋजु/संयम को देखता है, वह ऋजुदर्शी है। १.(क) शरीरात् उत्-प्राबल्येन च्यवते, अपयाति चरतीति वा उच्चारः। (आटी प ४०८) सरीराओ उच्छलति--णिफिडवति तेण उच्चारो। (आचू पृ ३६८) जो शरीर से बाहर निकलता है, वह उच्चार (मल) है। (ख) 'उच्चार' का अन्य निरुक्तउच्चार्यते प्रेर्यते उच्चारः । (अचि पृ १४३) जो उत्सर्ग के लिए प्रेरित करता है, वह उच्चार है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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