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निरुक्त कोश
५३. अणकर ( ऋणकर )
ऋणं पापं करोतीति ऋणकरः ।
जो ऋण / पाप करता है, वह ऋणकर है ।
५४. अणगार (अनगार)
अगारं - घरं तं जस्स नत्थि सो अणगारो । जिसके अगार / घर नहीं है, वह अनगार / मुनि है ।
५५. अणण्णवित्ति (अनन्यवृत्ति )
है,
५६. अणापुच्छियचारि (अनापृच्छ्यचारिन् )
न विद्यते अन्या भिक्षामात्रात् व्यतिरिक्ता वृत्तिर्येषां ते अनन्यवृत्तयः । (व्यभा २ टी प ४)
भिक्षा के अतिरिक्त जिनकी कोई दूसरी वृत्ति / आजीविका नहीं वृत्ति हैं ।
५७. अणावाय (अनापात )
गणं अनापृच्छ्य चरति क्षेत्रान्तरसंक्रमादि करोतीत्येवंशी लोग्ना पृच्छ्य - चारी । ( स्थाटी प २६१ )
जो गण को बिना पूछे क्षेत्रान्तर में विहरण करता है, वह अनापृच्छ्यचारी है।
स्थान है ।
५८. अणिल ( अनिल )
११.
( प्रटी प ७ )
(दअचू पृ ८५ )
न विद्यते आपातः अभ्यागमः परस्य अन्यस्य स्वपक्षस्य परपक्षस्य वा यस्मिन् तदनापातम् । ( प्रसाटी प २०४ )
जहां किसी का आवागमन नहीं होता, वह अनापात / एकांत
अणिलयणाद् अणिलः । '
१. 'अनिल' के अन्य निरुक्त
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अनन्त्यनेन अनिलः न निलति वा । (अचि पृ २४६)
जिससे श्वास / प्राण ग्रहण करते हैं, वह अनिल है । जो हल्का होता है, वह अनिल है । ( णिलत् — गहने)
( अचू पृ १५१)
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