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निरक्त कोश
३०४
१६३६. साहम्मिय (सार्मिक)
समाणा सरिसा वा धम्मिया साहम्मिया। (आचू १ पृ २८५)
जिनका धर्म/आचार सदृश है, वे सार्मिक हैं । १६३७. साहसिअ (साहसिक)
सहसा-असमीक्ष्य प्रवर्तत इति साहसिकः। (उशाटी प ५०७)
जो सहसा/बिना विचार किये कार्य में प्रवृत्त होता है, वह
साहसिक है। १६३८. साहारण (साधारण)
समानम्--एकं धारणम्-अङ्गीकरणं शरीराहारादेर्येषां ते साधारणाः।
(आटी प ५८) जिनका शरीर समान/एक है और जो आहार आदि का धारण/स्वीकरण एकरूप से करते हैं, वे साधारण (वनस्पति)
कहलाते हैं। १६३६. साहु (साधु) व्वाणसाहणेण साधवः।
(दअचू पृ ३३) शान्ति साधयन्तीति साधवः ।
(दजिचू पृ ६६) जो निर्वाण/शांति की साधना करते हैं, वे साधु हैं । साधयन्ति ज्ञानादिशक्तिभिर्मोक्षमिति साधवः ।
जो रत्नत्रयी से मोक्ष की साधना करते हैं, वे साधु हैं । समतां वा सर्वभूतेषु ध्यायन्तीति साधवः ।
जो सब प्राणियों के प्रति समता का चिंतन करते हैं, वे साधु हैं। साहायकं वा संयमकारिणां धारयन्तीति साधवः। (भटी ५४)
जो संयम में सहायक बनते हैं, वे साधु हैं।
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