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निरक्त कोश
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१३६७. वासग (वासक) वासंतीति वासगा।
(आचू पृ २०४) ___जो शब्द करते हैं, वे वासक द्वीन्द्रिय आदि जंतु हैं । १३६८. वासहर (वर्षधर) वर्ष-क्षेत्र विशेष धारयतो-व्यवस्थापयत इति वर्षधरः।
(स्थाटी प ६५) जो वर्ष/क्षेत्रविशेष की व्यवस्था करता है सीमा करता है,
वह वर्षधर (पर्वत) है। १३६६. वासावास (वर्षावास) वरिसासु चत्तारि मासा एगत्थ अच्छंतीति वासावासो।
(दश्रुचू प ५२) वर्षाकाल में जहां चार मास तक एक स्थान पर रहा जाता
है, वह वर्षावास है। १३७०. वाह (वाह) वाहतीति वाहः।
(सूचू १ पृ.७१) जो वाहन को चलाता है, वह वाह/गाड़ीवान् है । १३७१. विउल (विपुल) 'पुल महत्त्वे' विशेषेण पुलानि विपुलानि ।
(सूचू २ पृ ४५०) जो अनेक हैं, विशिष्ट हैं, वे विपुल हैं। १३७२. विकहा (विकथा) विणट्टा कहा विकहा।
(दअचू पृ ५८) जो कथा विनाश की ओर ले जाती है, वह विकथा है । १३७३. विक्किया (विक्रिया) विविधा क्रिया विक्रिया।
(आवहाटी १ पृ १८५) जो विविध प्रकार की क्रिया है, वह विक्रिया है । विरुद्धा विरूपा वा कथा विकथा। (उशाटी प ६१३)
विसंवादी और विसंगत कथन विकथा है । १. वास-शब्दे।
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