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निरुक्त कोश १२०६. मयंगा (मृतगङ्गा)
मृतेव मृता विवक्षितभूदेशे तत्कालाप्रवाहिणी सा चासौ गङ्गा च मृतगङ्गा।
(उशाटी प ३५४) जो विवक्षित भूभाग में मृत/अप्रवाहित है, वह गंगा
मृतगंगा है। १२१०. मयण (मदन) मदयतीति मदनः।
(दटी प ८५) जो मत्त बनाता है, वह मदन/काम है । १२११. मरण (मरण) मरतीति मरणं ।
(आचू पृ ६७) म्रियते येन तद् मरणम् ।
(सूचू १ प ६९) जिसके द्वारा प्राणी मृत्यु को प्राप्त होता है, वह मरण/
मृत्यु है। १२१२. मरालि (मरालि)
म्रियत इव शकटादौ योजितो राति च--ददाति लत्तादि लीयते च भुवि पतनेनेति मरालिः।
(उशाटी प ४६) ___ जो बैल गाड़ी में जोते जाने पर मृत-सा हो जाता है, लात
मारता है, भूमी पर गिर पड़ता है, वह मरालि दुष्ट बैल है । १२१३. मल (मल) मृद्नाति' तमिति मलम् ।
(उचू पृ १३४) जिसे साफ किया जाता है, वह मल है।
१. मृद्- to remove (आप्टे पृ १२८६) २. 'मल' का अन्य निरुक्त-- मलते धारयति कायं मलं, मृज्यते वा । (अचि पृ १४२) जो शरीर को टिकाये रखते हैं, वे मल/वात-पित्त-कफ हैं।
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