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________________ ग्रन्थ ( २० ) गौरव को बढ़ाया है। इस ग्रंथ-संपादन में श्रीचंदजी रामपुरिया के भी अनेक महत्त्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं । अंत में हम उन सभी साध्वियों, समणियों और मुमुक्षु बहिनों के सहयोग का स्मरण करती हुई, उनके अवदान का मूल्यांकन करती हैं । आगम कोश कार्य में संपृक्त साध्वियों, समणियों और मुमुक्षु बहिनों में कुछ साध्वियां और समणियां कोश के लिए उपयुक्त शब्दों का चयन करवाती और उनका भिन्न-भिन्न कोशों के लिए विभाग निर्दिष्ट करतीं। समग्र साधिकाओं में से कुछ निरन्तर इस कार्य में व्याप्त रही हैं और कुछ ने . सावधिक समय तक सहयोग किया है। उनके नाम इस प्रकार हैं निर्देशिका १. साध्वी कनकश्री निशीथ २. , यशोधरा व्यवहार ३. , अशोकश्री आचारांग, दशाश्रुतस्कन्ध, पंचाशक, सूर्यप्रज्ञप्ति जिनप्रभा सूत्रकृतांग (प्रथम श्रुतस्कन्ध) कल्पलता दशवकालिक विमलप्रज्ञा आवश्यक (द्वितीय भाग), उत्तराध्ययन, प्रज्ञापना, नवीनकर्मग्रन्थ ७. , सिद्धप्रज्ञा सूत्रकृतांग (द्वितीय श्रुतस्कंध), स्थानांग, बृहत् कल्प, पिण्डनियुक्ति, प्रज्ञापना ८. , निर्वाणश्री आवश्यक (प्रथम भाग), विशेषावश्यकभाष्य, पञ्चसंग्रह, सूत्रकृतांग (प्रथमश्रुतस्कंध) ६. समणी कुसुमप्रज्ञा भगवती, ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, विपाकश्रुत, औपपातिक, राजप्रश्नीय, जीवाभिगम, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, अंगविज्जा, अनुयोगद्वार, नंदी, प्रश्नव्याकरण, ओपनियुक्ति, जीतकल्पभाष्य, प्राचीनकर्मग्रन्थ, प्रवचनसारोद्धार विशेष सहयोगी १. समणी स्मितप्रज्ञा ४. मुमुक्षु मंजु २. , उज्ज्वलप्रज्ञा ५. , राकेश ३. , सुप्रज्ञा ६. , निरंजना * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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