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निरुक्त कोश
९२५. पडिसेवअ (प्रतिसेवक)
प्रतिषिद्धं सेवते इति प्रतिसेवकः। (व्यभा १ टी प १६)
___जो प्रतिषिद्ध/निषिद्ध का सेवन करता है, वह प्रतिसेवक है। ९२६. पडिसेवणा (प्रतिसेवना) सम्यगाराधनविपरीता प्रतिगता वा सेवना प्रतिसेवना ।
(स्थाटी प ३२४) प्रतिकूल आसेवन आचरण करना प्रतिसेवना है। १२७. पडिसेह (प्रतिषेध) प्रतिषिध्यतेऽनेनेति प्रतिषेधः ।
(बृटी पृ २६१) जिससे निषेध किया जाता है, वह प्रतिषेध है । ६२८. पडिहारिय (प्रतिहार्य) प्रतिहरणीयं प्रतिहार्य ।
(दश्रुचू प २२) जो पुनः देने योग्य है, वह प्रतिहार्य (वस्तु) है। ९२६. पडोयार (प्रत्यवतार) प्रति सर्वतः सामस्त्येन अवतीर्यते-व्याप्यते यैस्ते प्रत्यवताराः।
(प्रज्ञाटी प ५३२) जो परितः अवतरित/व्याप्त हैं, वे प्रत्यवतार/परिधियां हैं। ९३०. पडोयर (प्रत्यवतार)
प्रत्यवतार्यते पात्रमस्मिन्निति प्रत्यवतारः। (पिटी प १३)
जिसमें पात्र का प्रत्यवतरण/स्थापन किया जाता है, वह
प्रत्यवतार/झोली है। ९३१. पणामअ (प्रणामक) प्रणामयन्तीति प्रणामकाः।
(सूचू १ पृ ६७) जो अत्यन्त नीचे झुकाते/गिराता हैं, वे प्रणामक कामभोग हैं। ९३२. पणिहाण (प्रणिधान)
प्रकर्षेण नियते आलम्बने धानं-धरणं मनःप्रभृतेरिति प्रणिधानम् ।
(भटी पृ १३८१)
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