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निरुक्त कोश
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७६३. दाय (दातृ) ददातीति दाता।
(उचू पृ २१८) जो देता है, वह दाता है। ७९४. दारुण (दारुण) मणं दारयंतीति दारुणा ।
(उचू पृ ७०) - जो मन को विदीर्ण करते हैं, वे दारुण हैं । ७६५. दावर (द्वापर) द्विपर्यवसितो द्वापरः ।
(आटी प १३) जो द्वा/सतयुग और त्रेता-इन दो युगों के पर/बाद में आता है, वह द्वापर (युग) है ।
जिससे द्वा/सतयुग और त्रेता- ये दो युग पर श्रेष्ठ हैं, वह द्वापर युग है। ७६६. दास (दास) दयित' इति दासः।
(उचू पृ १०१) जिसका दान दिया जाता है, जो बेचा जाता है, वह दास
जिसको पीड़ित किया जा सकता है, मारा जा सकता है, वह दास है। दास्यते' दीयते एभ्य इति दासाः। (उशाटी प १८८)
जिन्हें दिया जाता है, वे दास हैं । ७६७. दिट्ठिवाय (दृष्टिवाद)
____ सव्वाणतदिट्ठीओ तत्था वदंति त्ति दिठिवातो। (नंचू पृ ७२) १. द्वौ सत्यत्रेतायुगौ परौ श्रेष्ठौ यस्मात् (द्वापरः) । (शब्द २ पृ ७६५) २. दय-दाने, वधे। ३. दासृङ-दाने । ४. दास्यते दीयते भूतिमूल्यादिकं यस्मै सो दासः । (शब्द २ पृ ७०७)
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