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निरुक्त कोश ५०७. गोई (गीती) गीएण होइ गीई।
(वृभा ६६०) जिसने गीत/सूत्र का सम्यक् अध्ययन किया है, वह गीती/
सूत्रधर है। ५०८. गीयत्थ (गीतार्थ) गीएण य अत्थेण य गीयत्थो।
(बृभा ६८६) जो गीत/सूत्र और अर्थ को धारण करता है, वह गीतार्थ बहुश्रुत है। गीतो-विज्ञातः कृत्याकृत्यलक्षणोऽर्थो यैस्ते गीतार्थाः ।
(प्रसाटी प २२४) जो गीत/कृत्य और अकृत्य को जानता है, वह गीतार्थ/ बहुश्रुत है। ५०६. गुण (गुण) गुण्यन्ते-संख्यायन्ते इति गुणाः। (अनुद्वामटी प १००)
जिनसे व्यक्ति गणित/प्रसिद्ध व्यक्तियों में गिना जाता है, वे
गुण हैं। ५१०. गुण (गुण)
गुण्यते-भिद्यते विशिष्यतेऽनेन द्रव्यमिति गुणः। (आटी प ६८)
जिसके द्वारा द्रव्य में गुणवत्ता/विशेषता आपादित होती है,
वह गुण है। । ५११. गुणासाअ (गुणास्वाद) गुणे सादयति गुणासाता।
(आचू पृ १७६) जो गुणों/इन्द्रिय-विषयों का आस्वाद लेता है, वह गुणास्वाद है। १. गीतेन–सूत्रेण केवलेन सम्यक्पठितेन गीतमस्यास्तीति गीती भवति ।
(बृटी पृ २०७) २. गीतेन-सूत्रेण चार्थेन च यो युक्तः स गीतार्थो भण्यते।
(बृटी पृ २०७)
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