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समर्पण
सुहृवर अध्यापक श्रीधर्मानन्द कोसंबी जेमणे-महान चीनी प्रवासी भिक्षुश्रेष्ठ श्रीयवनचंगनी नेम, स्वदेश छोडी अनेक कष्टो वेठी, कठोर तपस्या पूर्वक भगवान् बुद्धना आत्मोद्धारक आगमोनो ऊंडो अभ्यास करी भारत-वर्षनी भावी सन्तति सन्मुख एक आदरणीय आदर्श उपस्थित कर्यो; तथा, पाली-वाङ्मयना एक अगाध अभ्यासी तरीकेनी उत्तम ख्याति प्राप्त करी अमेरिका जेवा सुदूर विदेशना नामांकित विद्यापीठमां पोताना पाण्डित्यनो विशिष्ट परिचय आपी भारतना गौरवमन्दिरमा अभिन्दनीय उपहार दीप धर्यो; एमना एवा अनुकरणीय जीवन अने कार्यथी आनन्दित थई हुँ आ कृतिने एमना कर-कमलमां सादर समर्पण करूं छु.
--संपादक
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