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अमरकोषः।
[प्रथमकाण्डे१ वाद्यप्रभेदा डमरु मड्डु डिण्डिम-झझशः ।
मर्दलः पणवोऽन्ये च २ नर्तकीलासिके समे ॥ ८॥ चिलम्बितं द्रुतं मध्य तत्व ४ मोघो ५ धनंक्रमात् । ६ तालः कालक्रियामानं हायः सास्य ८ मथास्त्रियाम्॥९॥
ताण्डवं नटनं नाटयं लास्यं नृत्यं च नर्तने । ९ तौर्यत्रिक नृत्यगीतवाद्यं नास्यमिदं प्रयम् ॥ १०॥
१ मरुः मड्डुः, सिण्डिमः, झर्झरः, मर्दलः, पणवः ( ६ पु), भादि ('मादि पदसे 'गोमुखः, हुडका.......' का संग्रह है') 'डमरु, मड्डु अर्थात् जलतरण, डुगडुगी, झांझ, मर्दल, ढोल आदि बाजाओं' का क्रमशः - नाम है।
२ नर्तकी, लासिका ( २ स्त्री । वस्तुतः ये दोनों शब्द त्रिलिङ्ग हैं, किन्तु सीलिङ्गमें रूपदर्शन के लिये सीरिङ्ग कहा गया है, पु. में 'नर्तकलासकः' न. में 'नर्तकम् , लासकम्' ऐसे रूप होते हैं। ), 'नाचने वाले के २ नाम हैं ॥ ("जैले-'कत्थक, छोकड़ा, वेश्या......')॥
३ तत्वम् (न), विलम्बसे नाचने, गाने और बजाने' का १ नाम है। ४ ओघः (पु) 'जल्दी २ नाचने, गाने और बजाने का । नाम है।
५ धनम् (न), 'सामान्य समय ( मध्यम गति ) से नाचने, गाने मौर बजाने' का १ नाम है ।
६ सालः (पु), 'ताल' अर्थात् "जिसमें समय और क्रियाकी कमी-बेशीका प्रमाण रहता है, उसका नाम है।
७ लयः (पु), 'लय' अर्थात् 'जिसमें गाने बजाने और हाथ, भ्र आदि चलाकर भाव दिखलाने के लिये समय और क्रियाकी कमी-बेशीका प्रमाण रहता हैसका नाम है ॥
८ ताण्डवम् (पुन), नटनम , नाटयम्, हास्यम्, नृत्यम् (+नृत्तम् ), मतनम् (५ न ), 'नाचने के ६ नाम हैं ।
__ ९ तौर्यनिकम, नाट्यम् (२न ), 'नाचना, गाना और बजाना इन तीनोंके समुदाय के नाम हैं।
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