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विशेष्यनिघ्नवर्गः १ ]
मणिप्रभाव्याख्यासहितः ।
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१ द्रुतावदीर्णे २ उद्गूर्णोद्यते ३ 'काचितशिक्यिते ॥ ८९ ॥ ४ घ्राणघाते ५ दिग्धलिप्ते ६ समुदन्तोद्धृते समे । ७ वेष्टितं स्याद्वलयितं संवीतं रुद्धमावृतम् ॥ ९० ॥ ८ रुग्णं भुग्ने ९ऽथ निशितक्ष्णुतशातानि तेजिते । १० स्याद्विनाशोन्मुखं पक्वं ११ हीणहीतौ तु लज्जिते ॥ ९१ ॥
१ द्रुतम् अवदीर्णम् (२ त्रि ), 'पिघले हुए' के २ नाम हैं ॥
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२ उद्गूर्णम्, उद्यतम् (२ त्रि ), 'उठाए हुए खड्ग आदि, उठाकर तौल आदि का अन्दाजा किये हुए या लोके हुए गेंद आदि' के २ नाम हैं ॥
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३ काचितम् शिक्यितम् (२ त्रि), 'सिकहरपर रक्खे हुए ( पाठभेदसे - कारितम्, शिक्षितम् ( २त्रि ), सिखलाये हुए' के' ) २ नाम हैं ॥
४ घ्राणम्, घातम् ( २ त्रि), 'सूत्रे हुए' के २ नाम हैं ।
५ दिग्धम्, लिप्तम् (२ त्रि), 'लिपे हुए स्थान आदि के २ नाम हैं ॥ ६ समुदक्तम्, उद्धृतम् (२ त्रि ), 'नदी, तालाब, कुँए आदिसे निकाले हुए पानी आदि' के २ नाम हैं |
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७ वेष्टितम् वलयितम् संवीतम्, रुद्वम्, आवृतम् ( ५ त्र ), 'चारो तरफ से घेरे हुए' के ५ नाम हैं |
८ रुग्णम्, भुन्नम् ( २ त्रि ) 'व्यथित या टूटे हुए' के २ नाम हैं ॥ ९ निशितम् ( + निशातम् ), चगुतम्, शातम् ( + शितम् ), तेजितम् ( ४ त्रि ), 'सान आदि देकर तेज किए हुए तलवार, भाला, चाकू आदि' के ४ नाम हैं ॥
१० विनाशोन्मुखम् ( भा० दी० ), पक्कम् ( २ त्रि), पके हुए या शीघ्र नष्ट होनेवाले' के २ नाम हैं ।
११ हीणः, होता, लज्जितः ( ३ त्र ), 'लजाये हुए' के ३ नाम हैं |
१. 'कारित शिक्षिते' इति पाठान्तरम् ॥
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