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अमरकोषः । [हितीयका मानं तुलाङ्गुलिप्रस्थौरगुआः पञ्चायमाषकः ॥ ८५॥ २ ते षोडशाक्षः कर्षोऽस्त्री ३ पलं कर्षचतुष्टयम् । ४ सुवर्णविस्तौ हेम्रोऽक्षे ५ कुरुविस्तस्तु तत्पले ॥८६॥ ६ तुला स्त्रियां पलशतं ७ भारः स्थाद्विशतिस्तुलाः । ८ आचितो दश भाराः म्युः शाकटो भार आचितः ।। ८७ ॥
गौतवम्, द्रुवरम्, पाया, (३ न ) 'तराजूसे तौलने' का, 'सेर-पौवा, छटाक आदिसे तौलने' का, और 'हाथ, अङ्गुल, गज, फट आदिसे नापने का क्रमशः 1-1 लाम है। ऐसा कहा है") ॥
. आधमाषः (पु), पांच शुञ्जा ( रत्तो)' अर्थात् 'एक आना भर' .. का नाम है।
२ अक्षः (पु), कपः (पु न), 'सोलह आघमाषक (आनाभर) अर्थात् 'एक रुपया भर के २ नाम हैं ।
३ पलम् (म), 'चार वर्ष (लाया) भर' का । नाम है ।
४ सुवर्ण: (+ न) बिस्तः (२ पु), 'एक मोहर' अर्थात् 'अस्सी रत्तो भर या १६ थाने भर सु के २ नाम है।
५ कुरुविस्तः (पु), 'एक पल (चार मोहर भर या तीन सौ बोस रत्ती भर ) सुवर्ण' का । नाम है। ( उपचारसे सुवर्ण से भिन्न अर्थ में भी 'पल......"शब्दों का प्रयोग होता है)।
६ तुला (स्त्री), 'सौ पल' अर्थात् '४०० रुपया भा या नम्बरी एक पसेरी भर' का नाम है ।।
७ भारः (पु), 'बीस तुला' अर्थात् १० पसेरी या दाई मन' का १ नाम है। (यही एक आदमोका बोझ होता है)।
८ आचित्तः (पु। +न) 'दश भार अर्थात् '३५ मन' का नाम है। यह एक गादीका बोझ होता है ।
१. नदुक्तमभिधानचिन्तामणौ हेमचन्द्राचार्यपादैः'तुलाः पौतवं मानं द्रवयं कुडवादिमिः पाप्यं इस्लादिमि-' इति ११५४७ ।।
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