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स्त्रियां: ८] मणिप्रभाव्याख्यासहितः ।
२६१ १ सांयुगीनो रणे लाधुः २ शास्त्राजीवादयन्त्रिषु ।। ७७॥ ३ ध्वजिनी वाहिली सेना नानीकिनी चमूः ।
वरूथिनी पलं सैन्धं . हामीकमस्त्रियान् ।। ७८॥ ५ व्यूहस्तु बलविन्यासो ५ मेवा दण्डादयो अधि । ६ प्रत्याहारी व्यूहारिणः ७ पृष्ट नाहः ॥ ७९ ॥
सांयुगीनः (त्रि ), 'लड़ाई में तुर' का नाम है ॥ २ 'शस्त्राजाब' शब्द (ला. ६७)से यहाँतह सब शब्द त्रिलिज हैं। ३ ध्वजिनी, वाहिनी, सेना, पृतना, मनोकिनी, चमूः, वरूथिनी (स्त्री), बम् , सैन्यम् , चक्रम् (३ न ), अनकन् (नपु), 'सेना, पल्टन' के " माम हैं।
४ स्युहः (१), 'व्यूह' अर्थात् आदि लड़ाई में सेनाको रखने के कायदे, मोचों बन्दी का नाम है।
५द (पु) आदि ('भोग, मण्डल, असंहत, उत्सन, अचल, रड, चक्रव्यूह, मकर, पताका, सर्वतोभद्र, ... .. २ का संग्रह है'), 'व्यूह' अर्थात् 'लड़ाई में सेनाको रखने के कायदे मोर्चाबन्दी' के पृषक :-, नाम है ॥
६ प्रत्यासारः ( + प्रत्यासरः), न्यूह पाणिः (२ पु), 'व्यूहके पीछे. वाले सेना-भाग' के नाम हैं ।
७ सैन्यपृष्ठः (महे. ), प्रतिग्रहः (+ररिग्रहः, पतद्गृहः। पु), 'सेनाके पीछेवाले भाग' के २ नाम है ॥
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१. व्यूह लक्षणं यथा
'मुखे रथा हयाः पृष्ठे तत्पृष्ठे च पदातयः ।
पार्श्वयोश्च गजाः कार्या व्यूहोऽयं परिकीर्तितः ।। १ ।। इति ।। २. व्यूहस्य कतिचिद्भेदान् सलक्षणमाह कामन्दकिस्तथा हि
'तिर्यग्वृत्तिस्तु दण्डः स्यानोगोऽन्यावृत्तिरेव च ।
मण्डलः सर्वतो वृत्तिः पृथावृत्तिरसंहतः ॥ १॥ इति । शी० स्वा० ज्यूहनामान्याह । तथा हि-यदाहु:
'दण्डो मण्डल भोगो चाप्युत्सन्नश्चापलो दृढः। व्यूहास्तेषां विशेषाः स्युश्चक्रव्यूहरादयोऽपि च ॥१॥इति इति ।
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