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तरफ जवा मन थाय, (अने थवं पण जोईए,) तो तेने उपयोगी एवो एक कोश तैयार मळवो जोईए. तो ज ते एटला भणतरने उपयोगमा लई, आगळ अभ्यास जारी राखी शके.
मॅट्रिक-विनीत कक्षामा सामान्य रीते रामायण, महाभारत, पंच महाकाव्य, प्रसिद्ध संस्कृत नाटको, अने कादंबरी, कथासरित्सागर, हितोपदेश, पंचतंत्र आदि कथासाहित्यने आवरवामां आवे छे. एटले आ कोशमां मुख्यत्वे ए साहित्यना शब्दो आवी जाय अने ए शब्दोना पण ए साहित्यमां वपरायला अर्थो आवे, ए लक्षमा राख्यं छे. बाकी, संस्कृत भाषाना शब्दोना अर्थो तो प्राचीन कोशकारोए अनेक अनेक नोंध्या होय छे. संस्कृत भाषानी खबी ज एवी छे के तेना शब्दोना (खास करीने धातुओना) अनेक अर्थो थाय. अने तेथी ज ए भाषामा एकी साथे रामायण, अने महाभारतनी जुदी जुदी वात चालती होय एवां काव्यो अरे, महाकाव्यो जोवा मळे छे.
आ कोशने विनीत कक्षाना विद्यार्थीने दृष्टिमा राखीने संक्षिप्त बनाववो, एम नक्की कर्यु तो खरे. परंतु ए शब्दोनी पसंदगी करवानें तो छेवटे ए कोश तैयार करनार सेवकवर्गना वैयक्तिक धोरणने आधारे ज थाय. उपरांत ए कोश अमुक पानांनो ज (अंदाजे ७०० पाननो) करवो एवी कांईक मर्यादा पण होवी घटे अने ते नक्की करवामां पण आवी हती. एटले शरूआतमां संक्षेप करवा उपर ज वधु ध्यान अपातुं जाय ए स्वाभाविक छे. कोश अर्थो छपायो त्यारे कंईक अंदाज मेळवी शकाय तेवू थयुं. त्यार पछी शब्दो लेवानी बाबतमां अमुक निश्चित धोरण अपनावी शकायु.
एटले कोश पूरो थतां, पाछळथी अपनावेला ए धोरणने आगळना भागने पण लागु पाडवं जरूरी लाग्यु, तेम ज शक्य पण बन्यु. एटले कोशने अंते पूर्ति रूपे ए शब्दो उमेरी लीधा छे. एम जोके आवा नाना कोशमां, बे जगाए शब्द शोधवानु विद्यार्थीने मुश्केल लागशे खरे, पण बीजी आवृत्ति वेळा पूर्तिना ए शब्दो योग्य क्रममां भेगा करी लेवाशे; अने ए रीते सळंग एक संक्षिप्त कोश उपलब्ध थशे. आ कोशमां कुल २६,६०९ शब्दोना अर्थों आपेला छे.
आगळनो तबक्को उपर जणाव्यु ते प्रमाणे आ कोशमां जाणीता काव्य-नाट्य कथाग्रंथोना ज शब्दो लेवाया छे. पण आपणी भारतीय संस्कृतिनां मूळ स्थानो सुधी पहोंचवा इच्छनारने पुराण-स्मृति-दर्शन-उपनिषद ए साहित्यना ग्रंथोना शब्दो पण मळवा ज जोईए. जाणीता साहित्यना ग्रंथोनो अभ्यास करी चूकेलाने अत्यारे बधी देशी
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