________________
अंतरयति
६५७
आकृष्टिमंत्र अंतरयति प० (अंतराय करवो; विरोध (२) सरल (नामनां) वृक्षो अंदर करवो; दूर खसेडी काढवू; धकेलधुं; आवेलां होय तेवू वच्चे आवे तेम करवं; बदली काढवू) अंतेवासित्व न० शिष्य होवापणं अंतरस्थ वि० अंदर रहेलुं (२) बच्चे अंतोष्ठ पुं० अधरोष्ठ; नीचलो होठ आवतुं होय तेवू (३) अंतरमां बेठेलू
अंत्यावसायिन् पुं० हलकामां हलकी (जीव) जितुं के फरतुं वर्णनो माणस (चांडाल ने निषादी अंतरिक्षगत वि० आकाशमा-हवामां
स्त्रीथी थयेलो) अंगिरम, अंतगिरि अ० पर्वतमा ।
अंधक पुं० जुओ पृ० ५९९ अंतर्जानुशय पुं० ढींचण वच्चे हाथ
अंधकवर्तकीयन्यायः जुओ पृ० ६३१ राखीने ऊंधनारो
अंधगजन्यायः जुओ पृ० ६३१ अंतर्दीपिकान्यायः जुओ पृ० ६३१
अंधगोलांगूलन्यायः जुओ पृ० ६३१ अंतधि स्त्री० देखाता बंध थर्बु ते
अंधदर्पणन्यायः जुओ पृ० ६३१ अंतर्भ १५० -मां समावेश थवो
अंधपरंपरान्यायः जुओ पृ० ६३१ अंतर्मदावस्थ वि० मद झरवानी दशा
अंध्राः पुं० ब० व० जुओ पृ० ५९९ अंदर छुपाई रही होय तेवू; मदमत्त
अंबरलेखिन् वि० गगनचुंबी ; खूब ऊंचं थवानी तैयारीमा होय तेवं वस्त्र अंतर्वस्त्र, अंतर्वासस् न० अंदर पहेरवान
अंबरीष पुं० जुओ पृ० ५९९ अंतर्वेदि (-दी) स्त्री० जुओ पृ० ५९९
अंबरीषक पुं० गुप्त अग्नि अंतश्चर वि० अंदर व्यापेलं - फरतुं
अंबष्ठाः पुं० ब० व० जुओ पृ० ५९९ अंतसंश्लेष पुं० सांधो; जोडाण
अंबा स्त्री० जुओ पृ० ५९९ अंतःकोप पुं० आंतरिक क्षोभ (२)
अंबालिका स्त्री० जुओ पृ० ५९९ आंतरिक गुस्सो
अंबिका स्त्री० जुओ पृ० ५९९ अंतःपातित, अंतःपातिन् वि० अंदर अंबुक्रिया स्त्री० पितओने जलांजलि दाखल करेलु के आवेल (२)-मां अंबुवेग पुं० पाणीनो मोटो प्रवाह समावेश थतो होय तेवू
अंबकृत न० रीछनो हणहणाट अंतःप्रकृतिप्रकोपज वि० आंतरिक अंभोजयोनि पुं० ब्रह्मा (विष्णुना विखवादथी जन्मेलं
नाभिकमळमां जन्मेला) अंतःसरल वि० अंदरखाने सरळ एवं अंमय वि० जलमय ; पाणीनुं बनेलं
आ आकंप १ आ० भ्रूजवं; कंपवू आकुलत्व न० भीड (२) व्याकुळता आकंप पुं० भ्रूजवू - कंपवू ते
आकुलीकृ ८ उ० भीड करवी; भरी आकंपित वि० धृजेलं; कंपतुं
काढवू (२) व्याकुळ कर, आकाशजननी स्त्री० किल्लानी दीवा- आकुंचन न० वांका वाळवू ते ; संकोचवू लमा राखेलं बाकू
के संकोचावं ते (२) ढगलो करवो ते; आकाशबद्धलक्ष वि० नजरे न देखाती भेगुं करवू ते (३) एक लश्करी हिलचाल चीज तरफ नजर ताकी होय तेवू आकृष्टि स्त्री० आकर्षण (२) खेंचीने (पागल)
वाळवू ते (धनुष्य) [मंत्र आकाशमुष्टिहननन्यायः पुं० जुओ पृ० आकृष्टिमंत्र पुं० आकर्षण करवा माटेनो
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org