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पंडिन्
६१० पर्वतोनी वच्चेनो प्रदेश. तेनो एक भाग दूषण पुं० खर राक्षसनो जनस्थान'जनस्थान' नामे ओळखातो. (२) वासी एक सेनापति. बुंदेलखंडथी कृष्णा नदी सुधीनो। दृषद्वती स्त्री० अंबाला अने सरहिंदजंगलनो प्रदेश.
मां थईने वहेती नदी, हवे रजपूतानावंडिन् पुं० 'दशकुमारचरित' अने ना रणमां लुप्त थाय छे. कुरुक्षेत्रनी 'काव्यादर्श' नो कर्ता. सातमा सैकामां दक्षिण सरहद; आर्यावर्तनी पूर्व थयेलो गणाय.
सरहद; सरस्वती नदीने पहेलां वंतपुर न० कलिंगनी प्राचीन राजधानी.
मळती हती. ओरिसान पुरी. सिलोन लई जवा
देवकी स्त्री० उग्रसेनना भाई देवकनी पहेलां बुद्धनो दांत त्यां राखवामां
पुत्री. वसुदेवनी पत्नी; श्रीकृष्णनी आवेलो.
माता. बाक्षिणात्य पुं० दक्षिण भारत; विंध्य
देवगिरि पुं० (१) चर्मण्वती नदी पर्वतथी दक्षिणनो भाग.
नजीकनो एक पर्वत.(२)दौलताबाद. वारुक पुं० श्रीकृष्णनो सारथि. दारुकावन, दारवन न० नागेश नामना
देवयानी स्त्री० दैत्योना गुरु शुक्राचार्यनी ज्योतिलिंगवाळं जंगल. मराठवाडामां.
एकनी एक लाडली दीकरी. (जुओ वाशाह पुं० यदुवंशीयकुळ.
कच); ययाति राजाने परणेली. वाशेरक पुं० माळवा देश.
पोतानी दासी तरीके साथे आणेली दिति स्त्री० दैत्योनी माता; कश्यपनी
शर्मिष्ठा साथे राजाने गुप्त प्रेम करतो एक पत्नी; दक्षनी पुत्री.
जोई, तेने अकाळ वृद्धावस्थानो शाप दिलीप पुं० (१) सूर्यवंशीय राजा;
अपावेलो. शर्मिष्ठाना पुत्र पुरुए पछी भगीरथनो पिता (२) रघुनो पिता;
पोतानी जुवानीना बदलामां ययातिनी पत्नी सहित तेणे नंदिनी गायनी सेवा
वृद्धावस्था लई लीधेली. करीने रघु पुत्र मेळव्यो.
देवहति स्त्री० कर्दम ऋषिनां पत्नी; दुर्योधन पुं० धृतराष्ट्र - गांधारीनो
सांख्याचार्य कपिलनां माता. कपिले पुत्र. सो कौरवोमां मोटो.
तेमने आत्मज्ञान उपदेश्यु हतुं. दुर्वासस् पुं० अत्रि-अनसूयाना पुत्र; मिल पुं० जुओ 'दमिल' क्रोधनी मूर्ति सम गणाय छे. शकुंतलाने
द्रविड पुं० दक्षिणनो देश ; कृष्णा अने तेमणे शाप आपेलो.
पोलर नदी वच्चेनो. गोदावरीनी दुष्यंत पुं० चंद्रवंशी, पुरुकुळमां जन्मेलो दक्षिणनो आखो कोरोमंडळ किनारो राजा. सर्वदमन - भरतनो पिता;
तेमां आवी जाय. पण सामान्य रीते शकुंतलानो पति.
कावेरीनी पारनो देश गणाय. कांची दुःशला स्त्री० दुर्योधननी बहेन; तेनी राजधानी. जयद्रथनी पत्नी.
द्रुपद पुं० पांचाल देशनो राजा; दुःशासन पुं० धृतराष्ट्रना सो पुत्रोमांनो धृष्टद्युम्न, शिखंडी ई० छ पुत्रो अने एक. द्यूत पछी द्रौपदीने सभामां द्रौपदीनो पिता. द्रोणाचार्यनो सहपाठी. खेंची लावी तेनां चीर तेणे खेंचेलां. पण पछी द्रोणाचार्य ज्यारे ते मित्रता भीमे तेना साथळ भागवानी तथा याद करी धन मागवा आवेला, त्यारे तेनुं लोही पीवानी प्रतिज्ञा लीधेली. तेणे तेमनुं अपमान करेलं ; द्रोणे अर्जुन
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