SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 609
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हैममुद्रा (३) शियाळामां थ] ; शियाळाने लगतुं (४) सोनानु; सोनानुं बनेल (५) पुं० हेमंत ऋतु हैममुद्रा, हैममुद्रिका स्त्री० सोनामहोर हैमवत वि० बरफवाळं (२) हिमालय पर्वतमांथी नीकळतुं (३) हिमालयमां रहेतु; हिमालय संबंधी (४) न० भारत । हैमवतिक वि० हिमालयमा रहेतुं हैमवती स्त्री० पार्वती (२) गंगा हैमंत, हैमंतिक वि० शियाळानु; ठंडु (२) हेमंत ऋतुमां थतुं; हेमंत ऋतु संबंधी (३) न० एक प्रकारना चोखा हैयंगव, हैयंगवीन न० आगला दिवसना दूध, घी (२) ताजु माखण . हैरण्य वि० सोना-; सोनानुं बनेलं हैरण्यवासस् वि० सोनानां पीछांवाळं (जेम के बाण) हैरिक पुं० चोर हैहय पुं० यदुराजानो प्रपौत्र; सहस्रार्जुन हैहयाः पुं० ब० व० एक देशनुं नाम'; ते देशना लोकोतुं नाम हो अ० आह्वान, संबोधन, के आश्चर्य -ए अर्थमां वपरातो उद्गार होड़ १ आ० अनादर करवो होड पुं० तरापो; होडी होढ न० चोरायेलो माल होतृ वि० होम करना(२)पुं० यज्ञ वखते ऋग्वेदनी ऋचाओ गानारो पुरोहित (३)होम-यज्ञ करनारो (४)अग्नि होत्र न० आहुति (२) यज्ञ होत्रा स्त्री० स्तुति (२) ऋत्विज होत्रिन् पुं० होम करनारो ऋत्विज । होत्री स्त्री० होम करनार (शिवनां आठ स्वरूपोमां- एक) होम पं० अग्निमां होम करीने देवोने आहुति अर्पवी ते (२)आहुति (३) यज्ञ । होमतुरंग पुं० यज्ञनो घोडो होमधेनु स्त्री० आहुति माटे दूध आपनारी गाय ह्रीत होम्य न० घी (२) होम द्रव्य होरा स्त्री० राशिनो उदय (२) राशि के लग्ननो अ? भाग (३) अढी घडी; कलाक (४) जेन्मकुंडली के ते परथी भविष्य भाखवानी विद्या [पोंक होलक पुं० ओळा; चणाना पोपटानो होलाका, होलिका, होली स्त्री० होलीनो उत्सव (२) फागण सुद पूनम हनु २ आ० लई लेवू; लूटी लेवू (२) छुपाववु; संताडवु (३) संताई जर्बु अ० गई काले; काले शस्तन वि० गई कालनु खाडो ह्रद पुं० धरो; ऊंडु सरोवर (२) ऊंडो ह्रदिनी स्त्री० नदी (२) वीजळी ह्रस् १ प० अवाज करवो (२) क्षीण थवू; अदृश्य थर्बु ह्रसित ('ह्रस्'न भू० कृ०) वि० अवाज करेलु (२) ट्रॅकुं करेलु हसिष्ठ वि० सौथी अल्प ('ह्रस्व'नु श्रेष्ठतादर्शक रूप) हनीयस् वि० (बेमां) वधारे अल्प ('ह्रस्व'नुं तुलनात्मक रूप) ह्रस्व वि० अल्प; थोडं (२) वामगुं; नीचुं (३) ट्रॅकुं [करवी हाद १ आ० अवाज करवो; गर्जना ह्राद पुं० घोंघाट; अवाज; गर्जना ह्रादिनी स्त्री० इंद्रनुं वज्र (२) नदी (३) वोजळी ह्रास पुं० अवाज; घोंघाट (२) घटवू ते; क्षीणता (३) नानी संख्या (४) अछत हिणीयते आ० जुओ 'हृणीयते' हिणीया स्त्री निंदा; ठपको (२) शरम; लज्जा ह्री ३ प० शरमावू; विनय देखाडवो ___-प्रेरक० शरमिदं करवू ही स्त्री० शरम ; लज्जा ह्रीण, ह्रीत ('ह्री' नुं भू० कृ०)वि० शरमावेलु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy