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स्रोतस्वती स्रोतस्वती, स्त्रोतस्विनी स्त्री० नदी स्रोतोरंध्र न० हाथीनी तूंढन छिद्र स्रोतोवह (-हा) स्त्री० नदी स्व स० ना०, वि० पोतानुं (२) कुदरती ; सहज; स्वाभाविक (३)पोतानी ज्ञाति के जातिनुं (४) पुं० पोतानी जात (५) सगो (६) विष्णु (७) पुं०, न० धन; मिलकत (८) स्वभाव स्वक वि० पोतानुं (२) पुं० मित्र; बंधु ; सगुं (३) न० पोतानी मिलकत स्वकर्मन् न० स्वधर्म; पोतानुं कर्तव्य स्वकीय वि० पोतार्नु (२) पोतानुं सगुं स्वगतम् अ० एक बाजुए; पोताने ज
कहेतो होय तेम (नाट्य०) स्वगोचर वि० पोतानी शक्तिनी मर्या
हामां होय तेवू स्वच्छ (सु+ अच्छ) वि० घणुं चोख्खं ; निर्मळ; तेजस्वी (२) सफेद (३) सुंदर (४) नीरोगी स्वच्छंद वि० निरंकुश ; पोतानी मरजी मुजब वर्तनाएं (२) जंगली (३) पुं० पोतानी मरजी के वृत्ति स्वच्छंदम् अ० पोतानी मरजी मुजब स्वच्छा स्त्री० सफेद दरो स्वज वि० पोतामाथी के पोता थकी जन्मेलुं (२) स्वाभाविक (३) पुं० पुत्र के संतान (४) परसेवो स्वजन पुं० सगो; संबंधी (२) पोतानी
जातनो के घरनो माणस स्वजनगंधिन् वि० दूरनी सगाईवाळं स्वजनायते आ० (सगो मनाय छेगणाय छे)
पोतानामांथी स्वतस् अ० आपोआप; पोतानी मेळे (२) स्वतंत्र वि० स्वाधीन ; कोईना ताबामां नहीं तेवू (२) मनस्वी ; पोतानी मरजी मुजब चालनारु (३) उमरलायक; पुख्त स्वतःसिद्ध वि० जाते ज प्रमाणरूप
आपोआप सिद्ध होय तेवू (जेने बीजा प्रमाणनी जरूर नथी)
स्वप्नधीगम्य स्वता स्त्री० पोतापणुं; पोतानुं मानवू
ते (२) मालकीपणुं स्वत्व न० मालकी-हक; मालकीपणुं स्वद् १ आ० गमवू; मधुर लागवू;
स्वादिष्ट लागवू (२) चाखवू; खावू स्वदन पुं० भक्षण ; आस्वाद स्वदित ('स्वद्' न भू० कृ०) वि. खाधेलं; चाखेलं (२) न० श्राद्धमां पिंड आप्या पछी 'तमने भावो-गमो'
ए जातनो उच्चार स्वदेश पुं० पोतानो देश; वतन स्वधर्म पु० पोतानो धर्म-पंथ (२)
पोतानुं कर्तव्य ; पोताना वर्णनुं कर्तव्य स्वधा स्त्री० पितृओने अपातो पिंड (२) श्राद्ध (३) अ० पितृओने पिंड आपतां करातो उच्चार स्वधाप्रिय पुं० अग्नि [कुहाडी स्वधिति पुं०, स्त्री०, स्वधिती स्त्री० स्वधोति वि० (वेदनो) सारी रीते
पाठ करनारो; ब्रह्मचारी स्वन् १५० अवाज करवो (२) गुंजा
रव करवो (३) गावं स्वन पुं० अवाज; ध्वनि स्वनिक वि० अवाज करतुं स्वनित न० गढ़ना; मेघगर्जना (२) ___ अवाज; ध्वनि
स्वप् २ प० ऊंघg; ऊंघी जवं (२) __ आडा पडवू; सूई जर्बु (३) लीन थर्बु स्वपक्ष पुं० पोतानो पक्ष-बाजु (२) मित्र
(३) पोतानो अभिप्राय स्वपन न० सूर्बु ते; निद्रा (२) स्वप्न
आवq ते [ऊंघमां भासतो देखाव स्वप्न पुं० ऊंघ; निद्रा (२) समणं; स्वप्नज् वि. ऊंघतुं; ऊंघमां आवेलु स्वप्नज वि० स्वप्नमां उत्पन्न थयेलं
देखातुं स्वप्नदोष पुं० स्वप्नमां वीर्यपतन स्वप्नधीगम्य वि० स्वप्न जेवी समाधि अवस्थामां बुद्धि वडे जोवातुं
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