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________________ स्फेष्ठ ५७८ स्मृतिरोध स्फेष्ठ वि० सौथी मोठं ('स्फिर' नुं स्मर्तृ पुं० शिक्षक; अध्यापक श्रेष्ठतादर्शक रूप) स्मार वि० कामदेवने लगतुं; कामस्फोट पुं० फोडq-फूट-फाटी नीक- देव- (२) न० स्मरण ; याद ळवूते (२) खुल्लू-प्रगट थq के करवू स्मारण न० याद करावq ते (२) गणते (३) फोल्लो तरी करवी ते; हिसाब मेळववो ते स्फोटन न० अचानक फोडq -फाड, स्मार्त वि० याददास्त संबंधी; याद ते (२)अनाजने फडाकाथी ऊपणवू ते करायेलं (२) याददास्तमां होय तेवू (३)आंगळीनो टचाको बोलाववो ते (३) स्मृतिशास्त्रना आधारवाळू; स्फूध न० यज्ञमांवपरातुं खड्गना आका स्मृतिशास्त्रमा कहेलु (४) पुं० स्मृतिरनुं एक साधन (२) एक जात, हलेसुं शास्त्रमा पारंगत ब्राह्मण (५) स्म अ० धातुना वर्तमान काळ साथे स्मृतिशास्त्रने अनुसरनारो आवी भूतकाळनो अर्थ दर्शावे (२) स्मि १ आ० स्मित करवू; धीमेथी हसवू पादपूरक प्रत्यय (नकारवाचक 'मा' (२) खोलवू; ऊघडवू नी साथे सामान्य रीते वपराय छे) स्मित वि० स्मित करतु (२)प्रफुल्लित; स्मय पुं० आश्चर्य (२) गर्व खीलेलं (३) न० मंद हास्य स्मयदान न० देखाडपूर्वक करेलुं दान स्मितपूर्वम् अ० स्मित करीने स्मयमान वि० नवाई पामतुं स्मर पुं० स्मरण; याद (२) प्रेम (३) स्मृ १५० याद करवू (२) देवनुं ध्यान करवं; देवना नामनो जप करवो __ मदन; कामदेव स्मरण न० स्मृति;याद (२) चिंतन; (३)स्मृतिशास्त्रे आज्ञा करवी;विधान चितवन (३)परंपरायी चाल्युं आववं करवू (४) उत्सुकतापूर्वक याद करवू ते ('श्रुति' शी ऊलटुं) स्मृत ('स्मृ' नुं भू० कृ०) वि० याद स्मरणपदवी स्त्री० मृत्यु करेलु (२) नोंधायेलं; उल्लेखायेखें; स्मरणानुग्रह पुं० अनुग्रहपूर्वक करेली गणेलं; मानेलं (३)स्मृतिशास्त्रे आदेश याद (२) याद करवा रूपी कृपा कर्यो होय तेवू(४)न० स्मृति; याद स्मरणी स्त्री० जपमाळा स्मृति स्त्री० स्मरण; याद (२)स्मरणस्मरक्शा स्त्री० कामज्वरथी थती शक्ति (३) धर्मशास्त्र; मानवरचित शरीरनी दशा (दश प्रकारनी गणावाय कायदाओनो ग्रंथ ('श्रुति' अपौरषेय छे);प्रेममां पडया होवानी स्थिति गणाय छे) (४) सारासारविवेक । स्मरप्रिया स्त्री० रति; कामदेवनी पत्नी स्मृतितंत्र न० कायदापोथी; धर्मशास्त्र स्मरमय वि• काममूलक प्रेमने कारणे स्मतिपय पुं० याददास्तनो विषय उत्पन्न थयेलं स्मृतिपयंगम १५० मरण पामवं(यादस्मरशासन पुं० शंकर दास्तनो विषय बनी जवु) स्मरसत पुं० चंद्र (२) वसंत ऋतु स्मृतिपाठक पुं. कायदाशास्त्री स्मरहर पुं० शंकर [कामात स्मृतिभ्रंश पुं० याददास्त नाश पामवी ते स्मराकुल, स्मरात वि० कामातुर; स्मृतिमत् वि० पूरेपूरा भानवाळू (२) स्मरोन्माद पुं० कामवासनाथी उत्पन्न पूर्वजन्म याद होय तेवु (३)डायु; थयेली उन्मत्तता के मूर्खता शाणुं(४)स्मृतिशास्त्रमा प्रवीण एवं स्मर्तव्य वि० याद करवा लायक स्मृतिरोध पुं० याददास्त लुप्त थवी ते Nad AANTICHETANA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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