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साग्नि
साधन साग्नि वि० अग्निवार्छ; होम माटे सात्वताः पुं०ब०व० एक जातिना लोको अग्नि राखनाएं
सात्वतांपति पुं० विष्णु (२) कृष्ण साग्निक पुं० गृहस्थ; अग्निहोत्री सात्वती स्त्री० नाटकनी चार शैलीओसान वि० संपूर्ण; आखं; पूरु (२) मांनी एक (२) शिशुपालनी माता
अधिक; -थी वधु एवं [समय सुधी साद पुं० डूब ते; नीचे बेसवं ते (२) साप्रम् अ० आखी जिंदगी सुधी; खूब __ थाक (३) कृशता (४) नाश; अंत साचि अ० वांकुं; त्रांसुं; तीरछं
(५) दुःख, पीडा साचिव्य न० प्रधानपदुं (२) मदद; सादन न० थकवq ते (२)नाश करवो सहाय ; मैत्री
वाळवू ते (३) थाक (४) घर; रहेठाण । साचीकृ ८ उ० बाजुए वाळवू; वांकु सादित वि० बेसाडेलु (२)थाकेलु (३) साजात्य न० एक जाति के वर्गन होवू ते खिन्न ; हताश (४) विनष्ट (५) क्षीण साटोप वि० गर्विष्ठ ; उद्धत (२) भव्य सादिन वि० नीचे बेसतुं (२)थकवनाएं; (३) भरेलु ; फूलेलं (४)गडगडाटवाळं
नाश करनारु (३) बेसनारुं; सवारी साटोपम् अ० अभिमानथी; रुआबभेर करना5 (४) पुं० घोडेसवार (५) (२) उद्धतपणे (३) गुस्साथी
हाथीसवार (६)रथसवार (७) सारथि सात् अ० जे शब्द साथे वपराय तेना सादृश्य न० सरखापणुं; समानता (२) रूप पूरेपूरुं बदलाईने थयुं छे – एवो प्रतिकृति; चित्र अर्थ बतावे (उदा० भस्मसात्) (२) साद्य वि० नवं अथवा तेना काबूमां सोंपी देवायु होय साद्यस्क वि० झडपी; तरत ज थत् तेवो अर्थ बतावे (उदा० ब्राह्मणमात्) (२) तरत ज परिणमतुं (३) नवं; सातत्य न० कायमपणुं; चालु रहेवापणुं ताजु (४) पुं० एक यज्ञ सातिशय वि० उत्तम; अधिक साद्यंत वि० आखं; पूर्ण । सातिसार वि० दस्त थई गया होय तेवू साथ् ५५० पूरुं करवू; सिद्ध करवू (२) सातीर्थ्य न० एक ज गुरु पासे शीखवू ते जीतq (४)४ प० सिद्ध थq; पूरुं था सात्त्विक वि० खरं; तात्त्विक (२)
-प्रेरक० साधq; पूरुं करवू (२) साचुं; खरं; स्वाभाविक (३)सद्गुणी; सिद्ध करवं; प्राप्त कर, (३) प्रमाणिक (४) शक्तिमान (५)सत्त्व- पुरवार करवू (४) ताबे करवं; वर गुणी (६)प्रेम वगेरे आंतरिक भावथी करवू (५) नाश करवो (६) जq; नीपजेलं (७) पुं० आंतरिक भावनो विदाय थर्बु बाह्य आविष्कार (काव्य)
साधक वि० सिद्ध करनारं; पूरुं करनार सात्त्विकी स्त्री० दुर्गा
(२) असरकारक; कार्यक्षम (३) सात्म्य न० सरूपता
कुशळ; प्रवीण (४) चमत्कारी; जादुई सात्यकि पुं० एक यादव योद्धो
(५) उपकारक; मददगार (६) पुं० सात्वत् पुं० (श्रीकृष्णनो) उपासक; चमत्कारिक सिद्धिओवाळो योर्ग अनुयायी; भक्त (२) यादव
(७) जादुगर सात्वत वि० वैष्णव (२)भक्त (३)पांच- साधन वि० सिद्ध करनारं; परिणाम
रात्र सिद्धांतने लगतुं (४) पुं० विष्णु उपजावनाएं (२) मेळवनाएं (३) (५)बळराम
सूचवनाएं (४) न० सिद्ध करवं
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