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संहति
संस्कृतोक्ति
५४७ आव्यो छे तेवू (३) पवित्र करेलुं संस्थान वि० स्थावर (२)न० समूह (३) (४) न० संस्कृत भाषा
स्थिति (४) आकृति; आकार (५) संस्कृतोक्ति स्त्री० संस्कारेल - शुद्ध- रचना (६)सांनिध्य (७) चार रस्ता
भाषा के शब्द [पड-बिछानुं भेगा थता होय ते स्थळ (८)विभाग संस्तर पुं० पथारी (२)पांदडां वगेरेनुं संस्थापन न भेगुं राखq के मूकबुं ते संस्तव पुं० स्तुति ; प्रसंशा (२)परिचय; (२)नियम ; व्यवस्था (३)स्थापq ते; निकट संबंध (३)एकमती
प्रमाणित करवू ते (४)निग्रह संस्तवप्रीति स्त्री० परिचयथी थती प्रीति संस्थापना स्त्री० निग्रह (२)शांत पाडसंस्तंभ ५, ९ प० थोभाव; रोक; वानो उपाय निग्रह करवो (२)जड-अक्कड करी संस्थित वि० साथे रहेलुं के ऊभेलु (२) देवू (३)हिंमत धारण करवी; स्थिर- रहेढं; ऊभेलु (३)नजीकनुं (४)सदृश
शांत थर्बु (४) दृढ करवू; निश्चळ (५) एकत्रित (६) निश्चित; स्थिर . करवू (५) टेको आपवो
(७) अटकेलं; पूरुं थयेलं (८) सारा संस्तीर्ण वि० पथरायेलं; बिछावेलं(२) घडतर के रचनावाळू; सारा आकारनं
वेरेलं;विखेरेलु परिचित होवू (९) वारंवार अवरजवरवाळू (१०) संस्तु २५० वखाणवू(२)स्तुति करवी(३) न० स्थिति (११) आकृति संस्तुत वि० वखाणेलं; प्रशंसेलु (२) संस्थिति स्त्री० साथे होवू के रहेवं ते साथे स्तुति करेलु (३)परिचित (४) (२) सांनिध्य (३) रहेठाण ; आश्रयताकेलं; इरादो राख्यो होय तेवू (५) स्थान (४) समूह (५) टकी रहे, समान; तुल्य
के चालु रहेदूं ते (६) स्थिति ; दशा संस्तुति स्त्री० प्रशंसा
(७) निग्रह (८) मृत्यु (९) प्रलय संस्तृ (-) ५, ९ उ० पाथरवं; वेरवू संस्पर्श पुं० संबंध (जेम के विषय अने संस्त्याय पु० ढगलो; समूह (२) विस्तार इंद्रियोनो)
(३) पडोश ; सांनिध्य (४) रहेठाण; संस्पृश् ६ प० स्पर्श करवो (२) पाणी घर(५)परिचय [वसेलु; रहेलं छांटर्बु (३) कोगळा करवा संस्थ वि० रहेतुं ; कायम रहेतुं (२) वसतुं; संस्कृष्ट वि० स्पर्शायेलं; संबंधमां आवेलं संस्था १ आ० [संतिष्ठते ] साथे ऊभा
संस्मरण न० याद करवू ते रहेवू के वसवू (२)उपर ऊभा रहे, संस्म १ १० याद करवू; चितववं (३)हो; जीवq (४) मानवं;-प्रमाणे संस्मृति स्त्री० याद करवू ते वर्तवं (५) पूरुं थq; सिद्ध थर्बु (६) संस्रव पुं० वहेवू ते; प्रवाह अंतराय आववो; अंतरायथी अंत संहत वि० प्रहार करायेलं; घवायेखें आववो (७) १ प० अटकी पडq। (२) जोडायेलं; जोडेलु; संबद्ध
-प्रेरक० स्वस्थ करवं (जातने) (२) (३) घट्ट; दृढ (४) संपवाळु; एक स्थिर करवू (३) निग्रह करवो साथे होय तेवू (५) एकत्रित संस्था स्त्री० मंडळ; सभा (२) स्थिति; संहतभ्र वि० भवां चडाव्यां होय ते, हालत (३)स्वरूप; प्रकृति (४) धंधो; संहति स्त्री० गाढ संबंध (२) एकरोजगार (५) अंत (६) मृत्यु (७) संप (३) जथ्थो; समूह (४) ढगलो प्रलय (८) करार; कबूलात
(५) बळ ; ताकात
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