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मम्माहित अम्माहित ('अभि + आ +धा' भू० कृ०) वि० मूकेलं; उमेरेलु (बळतण इ०) अन्याह १ प० लई आवq; लावीने
आपq (२)उपाडी जवू ; लूटी जर्बु अभ्युक्षण न० जळ छांटवू ते; जळ
छांटीने पवित्र करवं ते मुजबर्नु अभ्युचित वि० चालतुं आवेलं; रिवाज अभ्युच्चय पुं० वृद्धि; समृद्धि अभ्युच्छित वि० उच्च ; उन्नत अभ्युत्था (अभि + उद् + स्था) १५० [अभ्युत्तिष्ठति | सामे ऊठीने मानआपq (२) मळवा माटे ऊठवू - ऊभा थव अभ्युत्थान न० स्थान परथी ऊठीने मान आपव॑ ते (२) प्रयाण करवू ते; प्रयाण माटेनी तैयारी (३) उन्नति; उत्कर्ष; वृद्धि अभ्यत्थित वि० ऊ, थयेलं; ऊठेलं
(२) तैयार थयेलं; तत्पर थयेलु अभ्युत्पत् १५० --उपर कूदको मारवो अभ्युत्पतन न० कूदको मारवो ते; हुमलो करवी ते अभ्युदय पुं० उन्नति ; वृद्धि ; आबादी (२) उत्सव (३) उदय थवो ते; ऊगवु (सूर्यादिनु) (४) इच्छित वस्तु सिद्ध थवी ते (५) आरंभ अम्युदि (अभि + उद्+इ) २ प० (सूर्यादिनु) ऊगर्बु (२) ऊंचे चडवं (३) उन्नत थq; आबाद थ, (४) बनवू; थर्बु (५) सामे थर्बु अभ्युदित ('अम्युदि'भू० कृ०) वि. ऊगेलं (२) बनेल; थयेलु (३) उन्नत - आबाद थयेलु (४) सूर्य ऊगी जाय छतां सूई रहेनाएं (५) सामे थयेलं (युद्धमां) (६) ('अभिवद् 'नुं भू० कृ०) वाणीमां बोलायेल- उच्चारायेलं
अभ्यूह, अभ्युद्गत वि० मळवा सामु गयेलु
(२) व्यापेलं (कीर्ति) अभ्युद्यत वि० ऊंचु करेलु (२) सज्ज थयेलं; तत्पर थयेलं (३) सामे रजू करेलु; वगर माग्ये आपेलं (४) उदय पामेलं; प्रगट थयेलं अभ्युन्नत वि० ऊंचु; उन्नत अभ्युम्नति स्त्री० उन्नति; आबादी। अभ्युपगत वि० स्वीकारेल; कबूल
राखेखें (२)पासे गयेलु ; सामु आवेलु अभ्युपगम् १ प० । अभ्युपगच्छति] पासे जवू ; आवी पहोंचq (२) मददे आव (३) मेळवq; प्राप्त करवू (४) कबूल करवू; कबूल राखवू अभ्युपगम पुं० आवी पहोंचवू ते (२) कबूल राखवू ते (३) वचन; करार (४) मान्यता; अभिप्राय अभ्युपपति स्त्री० मददे जवं ते (२) सांत्वन ; रक्षण (३) अनुग्रह; कृपा (४) वचन; करार अभ्युपपद् ४ आ० (आपत्तिमाथी) छोडाव; बचाव, (२) आश्वासन आपq (३)मदद मागवी; शरणे जर्बु अभ्युपपन्न वि० शरणागत; भरणे
आवेलु (२) बचावेलं; मंरक्षेलं अभ्युपाय पु० वचन; करार (२)
उपाय; साधन अभ्युपायन न० लांच ; रुशवत अभ्युपे (अभि + उप+ इ)२५० पासे जवू; आवी पहोंचवू; प्रवेश करवो (२) स्थिति प्राप्त करवी-पामवी (३) वचन आपq; कबूल करवू; स्वीकार (४) संमत थवू; मान्य राखq (५)ताबे थq; शरणे जर्बु अभ्युपेत वि० पासे आवेलं; सामे __ आवेलं (२) स्वीकारेलु अभ्यूह १ उ० दलील करवी; तर्क करवो .
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