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वेपथु ४७९
वैगुण्य वेपथु पुं० कंप; ध्रुजारी
वैकक्ष, वैकक्षिक न०, वैकक्षिकी स्त्री० वेपन न० कंप; ध्रुजारी (२) पणछनो __ जनोई पेठे पहेरातो हार टंकार करवो ते
वैकटच न० विकटता (२) मोटापर्यु वेम पुं०, वेमन् न० साळ (वणवानी) वैकर्तन पुं० कर्णनुं नाम वेला स्त्री० वेळा ; समय (२) मोसम; वैकर्तनकुल न० सूर्यवंश... तक (३) फुरसद; अवकाश (४) वैकल्पिक वि० विकल्पे थतुं के लेवातुं प्रवाह (५) दरियाकिनारो (६) (२) अनिश्चित सीमा; मर्यादा
कंपवू वैकल्य न० दोष; खामी (२) अपंवेल्ल १५० जq; खसर्बु (२) हालवू; गता (३) असामर्थ्य ; अशक्ति (४) वेल्लन न०, वेल्लना स्त्री० हालवू-कंपवू व्याकुळता (५) अभाव ते (२)गबडवं ते (जमीन उपर) (३) वैकालिक वि० समीसांजने लगतुं मोजांनु ऊछळवं ते(४)जोरथी घूमडवू ते वैकिंकर पुं० मृत्यु येल्लित ('वेल्ल' न भू० कृ०) वि० वैकुंठ वि० दुर्धर्ष (२) पुं० विष्णु कंपतुं; कंपेलु (२) वांकुं
(३) न० विष्णु लोक । वेश पुं० प्रवेश (२) घर; रहेठाण वैकुंठीय वि० विष्णु के वैकुंठने लगतं (३) वेश्यावाडो (४) पोशाक (५) वैकृत वि० बदलायेलं (२) विकार सोंग (६) वेश्याजन
पामेलु (३) सात्त्विक (४) न वेशनारी, वेशवधू, वेशवनिता स्त्री० फेरफार; परिणाम (५) धिक्कार; वेश्या
अग्नि तिरस्कार (६) स्थिति के देखावमां वेशंत, वेशांत पुं० नानुं खाबोचियु (२) थयेलो फेरफार; कद्रूपापणुं (७) वेश्मन् न० घर; निवासस्थान
अनिष्टसूचक घटना(८) कपट वेश्मवास पुं० सूवानो ओरडो
वैकृतविवर्त पुं० शोचनीय स्थिति वेश्या स्त्री० गणिका
दुःखी अवस्था वेश्यापण पुं० वेश्याने आपवानो दर वैकृत्य न० फेरफार; परिणाम (२) वेष पुं० पोशाक; पहेरवेश .
दुःखी अवस्था (३) अकुदरती बनाव वेष्ट १ आ० वींटवू; घेर (२)पहेरवं (४) वेर; धिक्कार ___-प्रेरक० वींटाळवं; घेर,
वैक्रान्त न० एक जातनं रत्न वेष्टन न० वींटवू ते; वीटळावं ते (२) वैक्लव, वैक्लव्य न० व्याकुळता; गभढांकण (३) फॅटो
राट; क्षोभ (२)दुःख ; विकळता वेष्टित ('वेष्ट्' नुं भू. कृ०) वि० वैखरी स्त्री० वाणीनी चोथी कोटी वींटेलं; घरेलु (२) पहेरेलं (३) - स्पष्ट उच्चारायली वाणी (२) रोकेलं; अटकावेल
वाणी; बोलवानी शक्ति । वेसर पुं० खच्चर
वैखानस वि० तपस्वीने लगतुं; तपवेसवार पुं० गरम मसालो
स्वीए आचरवानुं (२) पुं० वानवेहत स्त्री० वंध्या गाय (२)गर्भ गळी प्रस्थ तपस्वी (३)प्रजापति- ब्रह्माना जतो होय तेवी गाय
वाळ अने नखमांथी पेदा थयेल तपस्वी वै १५० सुकावू (२) सुस्त थर्बु वैगुण्य न० गुणरहितता (२) कुशळवै अ० पादपूरण, संबोधन तथा अनुनय तानो अभाव (३) गुणोमां भेद के एवा अर्थ बतावतो अव्यय
विरोध होवापणुं (४) हीन होबापणुं
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