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विमार्गगामिन्
विरल विमार्गगामिन्, विमार्गप्रस्थित वि० वियुज् ७ आ० तजq (२) छूटुं पाडवं; दुराचारी मिश्रणवाळं -रहित कर
[एम विमिश्र, विमिश्रित वि० सेळभेळ थयेलु; वियुज्य अ० छुटै छुटुं; एक साथे एक विमुक्त वि० छूटुं करेलं; मुक्त करेलु- वियुत वि० जुदुं पाडेलु (२)-रहित थयेलु (२)तजी दीधेलं; छोडी दीधेलुं । वियोग पुं० छूटा पडवं ते (२) अभाव (३) फेंकेलं; नाखेल (४) युक्त ।
वियोगिनी स्त्री० प्रेमी के पतिना विमुक्तमौनम् अ० मौन तजीने
विरहवाळी स्त्री विमुक्ति स्त्री० छुटकारो (२) मोक्ष वियोजित वि० छुटुं पाडेलु –थी रहित विमुख वि० मों फेरवी लीधुं होय तेवू
करेलं
पशुओनी योनि (२) पराङमुख; निवृत्त (३) विरुद्ध; वियोनि वि० अधम कुळनु (२)स्त्री० प्रतिकूळ (४) -रहित; -विनानुं
विरक्त वि० घणु लाल (२) रंग बगडी (समासमां; उदा० 'करुणाविमुख')
गयो होय के ऊडी गयो होय तेवु (३) विमुग्ध वि० मूंझायलं; मूढ बनेल
आसक्तिरहित; अणगमावाळू (४) विमुच् ६५० [विमुचति] मुक्त करवं;
वैराग्ययुक्त
विरक्ति स्त्री० असंतोष'; अणगमो (२) छूटुं करवू (२) छोडवू; गांठ खोली नाखवी (३)तजq; छोडवू (४) अना
वैराग्य; आसक्तिनो अभाव । मत राखवू; बाजुए काढQ (५) टपका
विरच् १० उ० गोठवयु (२) रचवू; वq (आंसु) (६) फेंक (७) उतारी
लखवू (३) उत्पन्न करवु
विरचन न०, विरचना स्त्री० गोठवणी नाखवू (कपडां) विमुह, ४ प० मूंझावू(२)मोहित थर्बु(३)
(२)रचवु ते; आयोजन (३) लखाण मूढ बनवू; मूर्ख बनवू
विरचित वि० रचेलु (२) गोठवेलु (३)
लखेलु (४) शणगारेलं विमृद् ९१० दबाव (२) कचरवं;
विरज वि० रज,दोष के वासनाथी रहित छंदवू (३) नाश करवो; बरबाद करवू
विरजस्, विरजस्क वि० रजरहित (२) विमूढ वि० मूंझायेलं; मूढ बनी गयेलं (२)लोभायेलं; मोहित थयेलु (३)
वासनारहित
विरजा स्त्री० दुर्वा (२)एक नदी मूर्ख (४) डायुं; पंडित
विरत वि० थोभेलं; अटकेलं (२) विमूढात्मन् वि० मूढ बनेलं; मूर्ख ।
समाप्त
माथी अटकेलं विमोक्ष पुं० मोक्ष ; छुटकारो (२) फेंकवू विरतप्रसंग वि० -ना व्यापार के क्रियाते (३)अर्पण; बक्षिस
विरति स्त्री० अंत; समाप्ति(२)संसारविमोचन न० छोडवू ते (जेमके
नी आसक्तिओमाथी विरत थवं ते झूसरीमाथी)(२) छुटकारो (३) मोक्ष विरम् १५० अंत आववो (२)थोभवू; वियत् न० आकाश
अटक; बंध पडवू (बोलतां इ०) वियत्पताका स्त्री. वीजळी
विरम पुं० अंत; समाप्ति (२) सूर्यास्त वियन्मध्यहंस पुं० सूर्य
विरल वि० वच्चे खाली अंतर होय वियु ३५० छूटा पडवू (२) -थी रहित तेवू ; गाढ नहि तेव (२) भाग्य मळतं; बनवू (३) रोक
वारंवार जोवा न मळतुं (३)अल्प; वियुक्त वि० छूटुं पडेलु (२) -थी थोड्क ज (संख्या के जथो) (४)दूरनुं तजायेलु (३) -थी रहित
(अंतर के समय)
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