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________________ विकुक्षि विकुक्षि, विकुक्षिक वि० मोटी फांद के पेटवाळं विकुंठा स्त्री० विष्णुनी मातानुं नाम विकुंठित वि० बुर्छ (२) नबळं विकबर वि० धोरिया विनानुं विकृ ८ उ० विकार थवो; बदलावू; विक्रिया थवी (२) कदरूपुं करवं (३) उपजावq (४)हानि करवी (५) उच्चारवं; अवाज करवो (६) विविध प्रकारे शणगार (७) निंद, विकृत वि० बदलायेलं; रूपांतर पामेलं (२) रोगी; बीमार (३) खंडित; कदरू' (४) अपूर्ण (५) न० फेरफार; विकार (६) बीमारी (७) अणगमो; तिरस्कार (८) अपकृत्य; ईजा; हानि (९) गर्भस्राव विकृति स्त्री० (मन, आकृति वगेरेमां) फेरफार; विकार (२) अस्वाभाविक के आकस्मिक घटना (३) बीमारी; रोग (४) क्षोभ; गुस्सो (५) लागणी; आवेश विकृष् १ प० खेंचवं (२) वाळवं (धनुष्य) (३) खेंची लेवु;-रहित करवू (४) नाबूद कर विकृष्ट वि० आम तेम खेंचेलं (२) खेंचायेल - आकर्षायेलु (३)विस्तृत ; लांबु [वाळं विकृष्टसीमान्त वि० विस्तृत सीमाओविक ६ प० [विकिरति ] विखेरवं; वेरQ (२) फाडवू; टुकडा करवा (३) विकृत - भ्रष्ट करवू (४) उकेलवं (गांठ) [विकल्प होवो विक्लप १ आ० शंका करवी (२) -प्रेरक० शंका करवी (२)विचारवं; चितवq (३) धारवू; मानवू (४) जुदी रीते गोठवq (५) रचवू विकेश वि० छूटा वाळवाळु (२) वाळ विनानु (जेमके माथु) विक्लिष्ट विकोश (-) फोतरा विना- (२) म्यान विनानुं; म्यान बहार काढेलं विक्रम् १ आ० डगलुं भरवू (२) हरावयूँ; जीतवं (३) पराक्रम करवं के बताव (४) आगळ धपवू विक्रम पुं० डगलं; पगलं (२) गति; चालवू ते (३) हरावq ते (४) पराक्रम (५) उज्जयिनीनो प्रख्यात राजा (६) बळ ; ताकात विक्रमण न० डगलं; पगलं (२)पराक्रम विक्रमार्क पुं० विक्रम राजा विक्रमिन् वि० पराक्रमी; शूर विक्रय पुं० वेचाण; विनिमय विक्रायक वि० वेचत ; वेचनारं विक्रांत वि० ओळंगायलं; ओळंगेलु (२) पराक्रमी ; बळवान (३) विजयी (४) पुं० वीर (५)न० डगलं; पगलं (६) बळ; पराक्रम (७) वैक्रांत मणि विक्रिया स्त्री० विकार; फेरफार (२) क्षोभ ; लागणीनो आवेश (३) गुस्सो (४) ऊलटुं थेवू ते; अनिष्ट (५) (भवां) संकोचवां-चडाववां ते (६) भ्रष्टता विनिमय करवो विक्री ९ आ० [विक्रीणीते] वेचवू; विक्रीत वि० वेचायलं; वेचेलं विऋश १५० मोटेथी बोलावq; हाक मारवी (२) बोलवू; उच्चार (३) गाळ देवी; निंदवू विक्रोश पुं०, विक्रोशन न० बोलावQते; बूम पाडवी ते (२) गाळ भांडवी ते विक्लव वि० बीनलुचमकेलं; गभरायेलु (२) बीकण (३) -थी दबायेलं;-थी अभिभूत थयेलं (४) क्षुब्ध ; विह्वळ (५) दुःखित; पीडित (६)अणगमावाळं (७)ठोकर खातुं (८)न०क्षोभ ; व्याकुळता (९) डर विक्लवता स्त्री० डर विक्लिष्ट वि० अत्यंत पीडित; दुःखित (२)हानि पामेलु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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