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वंचुलक
वाक्पटु बंचुलक पुं० एक पंखी
(२) वांसनुं बनेलं (३) सारा वंशमां वंजुल वि० वांकु (२) पुं० नेतर; बरु (३) जन्मेलुं (४) पुं० वारसदार; संतान
एक फूल (४) अशोक वृक्ष (५) एक पंखी। वंशधर वि० वंशने टकावनाएं-चालु वंजुलक पुं० जुओ 'वंचुलक'
राखनारुं (२) कुटुम्बने पोषनारु (३) वंट १ ५०, १० उ० भाग पाडवा; पुं० वारसदार
[भुंगळी हिस्सो वहेंचवो
वंशनाडिका, वंशनाडी स्त्री० वांसळी के वंट वि० बांडु; पूंछडी विनानु (२)वांढुं वंशबाह्य वि० कुटुंबमांथी बहिष्कृत . वंद १ आ० एकला जवू
वंशभृत् पुं० कुळनो वडो (२) कुळने वंढ वि० वाळु [(२)स्तुति करवी पोषनारो वंद १ आ० वंदन करवूनमस्कार करवा
वंशभोज्य वि० परंपराथी मळेलं (२) न० वंदन न० नमस्कार; प्रणाम (२)स्तुति वंशपरंपराथी चालती आवेली मिलकत वंदनमालिका स्त्री० दरवाजे लटका- वंशवन न० वांसन वन
वाती माळा; तोरण [स्तुति । वंशवर्षन वि० वंशनी उन्नति करनारु वंदना स्त्री० नमस्कार; प्रणाम (२) (२) पुं० पुत्र (३) न० वंशनी उन्नति वंदनीय वि० वंदन करवा योग्य
करवानें काम वंदार वि० स्तुति करतुं (२) वंदन वंशवितति स्त्री० वांसनी झाडी (२) करतुं; नम्र; विनयी
वंश-विस्तार
होवू ते वंदि स्त्री० केद (२) स्त्री केदी वंशसंपत् स्त्री० ऊंचा कुळy- खानदान वंदिन पुं० बंदी; भाट (२) बंदीवान वंशस्थिति स्त्री० वंश चालु रहेवो ते वंदी स्त्री० जुओ 'वंदि' ।
वंशागत वि० वंशपरंपराथी-वारसामां वंद्य वि० पूज्य ; वंदन करवा योग्य (२) मळेल
प्रशंसापात्र [नमेलं (३) सुंदर वंशावली स्त्री० पेढीनाम बंधुर वि० अस्थिर; चंचळ (२)वांकुं; वंशी स्त्री० वांसळी वंध्य वि० बांधवा के केद पकडवा लायक वंश्य वि० सारा कुळy (२) पुं० वारस(२) जोडवा लायक (३) जेने संतान दार; संतति (ब० व०) (३)पूर्वज (४) के फळ न थाय तेवू [गाय कुटुंबनो कोई पण माणस (५) पाटडो वंध्या स्त्री० वांझणी स्त्री (२) वांझणी वा २ प० फूंकावू (२)जq (३) ४५० वंश पुं० वांस (२) कुळ; पुत्रपुत्रादिनो सुकाई जq (४) बुझाई जq (५) १० उ० क्रम (३)वांसळी (४) समुदाय (सरखी खुश थर्बु (६) पूजq [विकल्पे वस्तुओनो) (५) पाटडो (६) गांठ; वा अ० अथवा (२)वळी (३)पेठे (४) सांधो (वांसमां)
वा-वा अ० कां तो आम के कां तो तेम वंशकर वि० वंशनी स्थापना करनारं वाक पुं० वाणी (२) संहिता (वेद)
(२)वंश चालु राखनारु (३) पुं० पुत्र (३) न० बगलाओनो समूह वंशकर्मकृत् पुं० वांसजें काम करनारो वाकोवाक्य न० तर्कशास्त्र वंशकृत्य न० वांसळी वगाडवी ते वाक्चपल वि० गमेतेम - अविचायु वंशचर्मकृत् पुं० वांस साथे चामडानुं बोलनारुं [छुपावीने बोलवू ते __ काम करनारो .
वाक्छल न० वाणीनु छळ ; साची वात वंशज वि० -ना वंशमां उत्पन्न थयेलं वाक्पटु वि० बोलवामां चतुर एवं
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