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________________ मा वल्लभजन ४३३ वसुभारा वल्लभजन पुं० प्रियतमा वस् १५० रहेवू; वसवाट करवो (२) वल्लभपाल पुं० अश्वपाल ; खासदार . होवू; मळी आवq (३)२ आ० धारण वल्लभा स्त्री० प्रियतमा; पत्नी कर; पहेरवु (४)४५० स्थिर होवू वल्लरि(-री) स्त्री० वेल; लता (२) (५)१०प० रहेQ (६) १० उ० कापवू; शाखाओवाळी दांडी छेदq (७)चाहवू (८) स्वीकारवू (९) वल्लव पुं० गोवाळियो १० उ० [वसयति-ते] सुगंधित करवू वल्लि स्त्री० वेल (२) पृथ्वी वसति (-ती) स्त्री० वास ; निवास (२) वल्ली स्त्री० वेल धर; निवासस्थान (३) शिबिर (४) वश् २ प० इच्छयूँ (२) प्रकाशवं रात्रि (ज्यारे पडाव कराय छे) वश वि० ताबेनी असर के अंकुश वसथ न० माळो (पंखीओनो) हेठळy (२) आज्ञापालक (३) मोहित वसन न० वसवं ते; निवास (२) घर (४)पुं०, न० काबू ; सत्ता; ताबेदारी वशग वि० बीजानी मरजीने अनुसर (३) वस्त्र; (४) कंदोरो (स्त्रीनो) नारं; वश-ताबे थयेलु (२) पुं० दास; वसनपर्याय पुं० वस्त्र बदलवां ते वसना वि०, स्त्री० (समासमां)वस्त्रथी नोकर सिरनारुं वशतिन् वि० बीजानी मरजीने अनु आच्छादित एवी (२) वींटळायली । वशंगम् १ प० वश थq; ताबे थर्बु वसंत पुं० वसंत ऋतु (चैत्र अने वैशाख) वशंवद वि० वश - ताबे थयेलू; -नी (२)विदूषकनु उपनाम (नाटकमां) असर हेठळ आवेलु वसंतबंधु, वसंतयोध पुं० कामदेव वशा स्त्री० स्त्री (२) पत्नी (३) कन्या वसंतसख पुं० कामदेव (२) मलयानिल (४) हाथणी (५) वंध्या (स्त्री) वसंतावतार पुं० वसंत ऋतु बेसवी ते वशिता स्त्री०, वशित्व न० वश करवू ते वसंतोत्सव पुं० होळीनो उत्सव (२) मोहित करवू ते (३)बीजाने वश वसा स्त्री० मेद; चरबी करवानी सिद्धि (४)जात उपर काबू वसान वि० रहेतुं वशिन् वि० समर्थ (२) वश थयेलं; वसिष्ठ पुं० ते नामना एक ऋषि ; सूर्यताबेदार (३)वासनाओ काबूमां लीधी वंशी राजाओना पुरोहित होय तेवू [णनुं साधन - कारण वसु वि० मधुर (२) सूकुं(३)न० धन; वशीकरण न० वश करवू ते (२) आकर्ष- समृद्धि (४) रत्न (५)सोनुं (६) पाणी वशीकृ ८ उ० ताबे करवू; वश करवू (७) घी (८) पुं० (ब० व०) देवोनो (२) मोहित कर [थयेलं एक वर्ग (आठ छ) (९)किरण (१०) वशीकृत वि० वश थयेलु (२) मोहित कोणीथी मूठी सुधीनुं माप वश्य वि० वश करी शकाय ते, (२) वश वसुक पुं० आकडो (२) न० दरियानु मीठु करेलं ; वश थयेलं (३) काबू हेठळy; वसुदा स्त्री० पृथ्वी आज्ञापालक (४) पुं० दास; नोकर वसुदेव पुं० श्रीकृष्णना पिता वश्या स्त्री० आज्ञापालक पत्नी . वसुद्रुम पुं० उदुंबर वृक्ष वषट् अ० देवने आहुति आपती वखते वसुधा स्त्री॰ पृथ्वी (२) स्वर्ग (३) जमीन बोलातो शब्द (देवनी चतुर्थी साथे)। वसुधाधर पुं० पर्वत वषट्कृत वि० ('वषट्' उच्चार साथे)। वसुधाधिप पुं० राजा [धानी होमेलु वसुधारा, वसुभारा स्त्री० कुबेरनी राज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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