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रिष्ट
रिष्ट ('रिष् 'तुं भू० कृ०) वि० ईजा करेलु; हणेलु (२)कमनसीब (३)न० ईजा; नुकसान (४) कमनसीब (५) पाप (६) हानि (७) समृद्धि ; क्षेम रिह, १ प० [रेहति ] हणवू रिंग १ प० सरकवं; खसवं रिगि स्त्री० जर्बु के सरकवू ते रीढा स्त्री० अपमान; अवज्ञा रीण ('री'नुं भू० कृ०) वि० टपकेलं; झमेलं (२) नष्ट; क्षीण रीति स्त्री० जq-वहेवू ते (२) गति (३) वहेण (४) सीमा; रेखा (५) पद्धति; रीत (६) रूढि (७) कांसु रु २ प० बूम पाडवी; चीस पाडवी; गर्जना करवी; गुंजारव करवो; अवाज करवो (२) १ आ० जर्बु (३) ईजा करवी; मारी नांखवू रुक्म वि० चमकतं; प्रकाशित (२) सोनेरी (३) पुं० सोना- घरेणुं (४) न० सोनुं (५) लोढुं । रुक्मपात्री स्त्री० सोनानी थाळी रुक्मपुंख वि० सोनानां पीछांवाळु (जेम
के बाण) रुक्मपृष्ठक वि० सोनानो ढोळ चडावेलं रुक्मरथ, रुक्मवाहन पुं० द्रोणाचार्य रुक्मिणी स्त्री० विदर्भना भीष्मकनी
पुत्री श्रीकृष्णनी पत्नी प्रद्युम्ननी माता रुक्मिन् वि० सोनानां घरेणांवाळू (२) सोनानो ढोळ चडावेलु (३) पुं० रुक्मिणीनो भाई रुग्ण ('रुज्' - भू० कृ०) वि० भांगेलं; तूटेलु (२) वांकुं वळेलु (३) ईजापामेलं (४) बीमार; मांदूं। रुच १ आ. प्रकाशq; शोभq (२) गमवू (जे वस्तु गमे ते प्रथमा विभक्तिमां; अने जेने गमे ते चतुर्थीमां) रुच् (-चा) स्त्री० तेज; कांति (२) शोभा; सुंदरता (३) वर्ण; देखाव (समासने अंते) (४)रुचि; इच्छा
रुचि स्त्री० प्रकाश; तेज; कांति (२) प्रकाशन किरण (३) देखाव; वर्ण (समासने छेडे) (४) स्वाद (५) भूख (६) इच्छा (७) गमवू ते; प्रीति रुचिकर वि० स्वादु; भावे तेवू (२) इच्छा
ऊभी करनाएं (३) भूख लगाडनाएं रुचित वि० प्रकाशित; कांतिमान (२)
स्वादु (३) प्रसन्न रुचिधामन्, रुचिभर्त पुं० सूर्य । रुचिर वि० तेजस्वी; कांतिमान (२)
स्वादु (३) भूख लगाडनारं(४)प्रसन्न रुची स्त्री० जओ'रुचि' रुज् ६ प० टुकडा करवा; नाश करवो (२)हानि करवी; पीडq (३)वाळवू; नमावq (४) १० उ० वध करवो रुज (-जा) स्त्री० भागवं ते; तूटी जवू ते (२) पीडा; वेदना (३) बीमारी; मांदगी (४)थाक; परिश्रम रुत ('रु' नुं भू० कृ०) वि० अवाज करेलु (२)भागीने टुकडा करेलु (३) न० बूम; अवाज; गुंजारव (घोडानो, पंखीनो, भमरानो इ०) रुतज्ञ पुं० पक्षी वगेरेना अवाज उपरथी
भविष्य भाखनारो रुद् २ प० रडवू(२)चीस पाडवी रुदन, रुदित न० रडवू ते; विलाप रुद्ध ('रुध् ' भू० कृ०) वि० रोकेलं; अटकावेलु (२) घेरेलु (३)बंध करेलु (४) ढांकेलं रुद्र वि० भयंकर; बिहामणुं (२) अनिष्ट दूर करनारु(३)पुं० शिवना गौणरूप मनाता ११ देवोनो वर्ग(४)शिव(५) अग्नि (६) व० व० प्राणो-इंद्रियो रुद्रदर्शन वि० भयंकर; बिहामणु रुद्राक्ष पुं० एक वृक्ष (२) न० तेनुं बी
(जेनी माळा बने छे) रुष ७ उ० रोध; रोकवू; अटकावq (२)टकावी राखq (३) बंध करवू
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