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अपोह
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अपामय
२८ अपाश्रय वि० आश्रय रहित ; निराधार अपीत ('अपि+ इ'भू० कृ०) वि० (२) पुं० आशरो; आधार (३) प्रवेशेलं (२) खोवायेलु (३) मृत । चंदरवो; छत (४) माथु
अपीति स्त्री० विलय; प्रलय (२)युद्धमा अपाधि १ उ० आशरो लेवो
सामसामा आवी जq ते अपास् ४ उ० फेंकी देवं (२) त्याग अपुत्र, अपुत्रक वि० पुत्र के वारस वगरनुं करवो; हांकी काढq (३)अस्वीकार अपुनर् अ० एक ज वार(२) कायमनु करवो; ना पाडवी
अपुनर्भव पुं० फरी न जन्मवं ते; मोक्ष अपासु वि० निष्प्राण; मृत
अपुनरावृत्ति स्त्री० मोक्ष (२) मृत्यु अपास्त वि० फेंकी देवायेलं; तजायेलं अपुष्ट वि० दूबछं; पोषण विनानुं अपांग, अपांगक वि० जेनुं अंग विकृत (२) मंद-धीन (अवाज) के खंडित छे तेवू (२) पुं० आंखनो अपूप पुं० वडं; पूडो (२) पूडो खूणो (३) कामदेव (४)अंत ; छेडो __ (मधमाखनो) अपांगनेत्र वि० सुन्दर खुणावाळी आंखो अपूर्ण वि० पूरुं नहि थयेलु; अधूरुं वाळू (स्त्री) (२) कटाक्ष नाखती अपूर्व वि० पहेलां नहि तेवू; असामान्य आंखोवाळं
(२) विलक्षण; नवं; अद्भुत (३) अपि अ० नाम अथवा धातुनी साथे अपरिचित (४)न० पाप अने पुण्य (जे नीचेना अर्थमां वपराय छे :- नजीक; भावि सुख के दुःखनु कारण थाय छे) समीप; तरफ (२) क्रि० वि० अथवा (५) कर्मनु भावि परिणाम-फल उभयान्वयी तरीके :- अने, पण, वळी, अपे ( अप + इ ) २ प० जq; जुदा तदुपरांत,विशेषमां,-ए अर्थे(३)जो के- पडQ (२) अदृश्य थवं; नाश पामवं तोपण (४) प्रश्नार्थमां वाक्यारंभे (३) छूटा पडवू; -विनाना थर्बु (५) आशा, इच्छा, अपेक्षा दशवि अपेक्ष १ आ० आशा राखवी (२) राह (विध्यर्थ साथे) (६)प्रश्नार्थ सर्वनाम __ जोवी (३) जरूर होवी ; इच्छा होवी 'किम्' नी साथे अनिश्चिततानो अर्थ (४) नजरमा होवू (५) ख्याल राखवो दर्शावे; उदा० कोऽपि बाल: (७)शंका,
अपेक्षणीय वि०इच्छवा-आशा राखवा अनिश्चितता, संभव, तिरस्कार,उपेक्षा
जेवू ; ख्यालमा लेवा जेवू दर्शावे (८) भार दईने कथन करवा
अपेक्षा स्त्री० आशा; इच्छा (२) जरूर; माटे वपराय (अद्यापि =आज पण)
अगत्य (३) उद्देश; ख्याल (४)संबंध अपिधा ३ उ० बंध करवू(२)ढांकवृं;
(५) काळजी छुपाव ढांकण ; आच्छादन
अपेक्षित वि० इच्छेलु(२) आशा रखायेलु अपिधान न० ढांक-छुपावq ते (२)
(३)आवश्यक (४) ख्यालमा लेवायेलं अपिनड वि० पहेरेलु
अपेक्षितव्य, अपेक्ष्य वि० जुओ 'अपेअपि नाम अ० कदाच ; संभव छे के ; एम
क्षणीय'
-थी रहित होय तो केवू सारुं?
अपेत वि० गयेलु (२) -थी जुदुं पडेल; अपिहित वि० बंध करेलु (२) ढांकेलं;
अपेय वि० न पीवा लायक छुपावेलु (३) नहि छुपायेखें; स्पष्ट अपोढ ('अप + वह 'नुं भू० कृ०) दि. अपी (अपि +इ) २५० प्रवेश करवो (२) लई जवायलं; दूर करायल पामवं; भोगवq (३) जोडावू; एक थवं अपोह (अप + उह अथवा ऊह ) १ उ०
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