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________________ याथात्म्य ३९८ याथात्म्य न० तत्त्व; साचुं स्वरूप याथार्थ्य न० यथार्थपणुं; साचं स्वरूप (२) उचितपणुं (३) इच्छेलो अर्थ सिद्ध के प्राप्त थवो ते यादव वि० यदुना वंशयादस् न० जलचर प्राणी यादृक्ष वि० जेवं यादृच्छिक वि० आपोआप - स्वेच्छाए प्राप्त थयेलं के करायेलं (२) आकस्मिक (३) स्वेच्छाचारी यादश (-श)वि० जेवं यादश-तादृश वि० जेवं तेवू; सामान्य यादोनाथ पुं० समुद्र (२) वरुण यान न० जq ते; सवारी करीने जवू ते (२) मुसाफरी (३) सामे चडाई करीने जq ते (४) सरघस (५) वाहन (६) पालखी; म्यानो (७) वहाण; जहाज (८) ज्ञान- के मोक्ष- साधन (उदा० 'हीनयान', 'महायान') (९) विमान [वहाण; नौका। यानपात्र न०, यानपात्रिका स्त्री० यानमुख न० रथनो अग्रभाग; धुरा यानशाला स्त्री० गाडी या रथ राखवानुं मकान ; 'गॅरेज' [गादी यानास्तरण न० वाहनमां पाथरवानी यापक वि० जाय एम करनारुं (२) आपनाएं; बक्षनाएं। यापन वि० जाय एम करनारु (२) मटाडनारुं (३)टेकवनाएं ; जोगवनारूं (जीवनने) (४) न० काढी मूकवू ते (५) मटाडवं ते (रोगने) (६) व्यतीत करवू ते (समयने) (७) विलंब (८) निर्वाह (९) प्रयोग; अमल (१०) उपदेश यापना स्त्री० जुओ ‘यापन' याप्य पुं० बापनो मोटो भाई याप्ययान न० पालखी; डोळी याभ पुं० संभोग; मैथुन यावत्-तावत् याम पुं० संयम; निग्रह (२) त्रण कलाक जेटलो समय - प्रहर (३) वाहन; गाडी (४) देवोनो एक वर्ग यामतूर्य न०, यामदुंदुभि पुं० प्रहर बताववा वगाडातुं घडियाळ - घंट यामवती स्त्री० रात्री यामवृत्ति स्त्री० पहेरा उपर होवू ते यामि स्त्री० बहेन (२) रात्री (३) पुत्रवधू (४) नरकयातना यामिक पुं० पहेरेगीर यामिका, यामिनी स्त्री० रात्री यामिनीनाथ, यामिनीपत्ति पुं० चंद्र यामी वि० स्त्री० यमे करेली; यम संबंधी (२) स्त्री० जुओ ‘यामि' यामुन वि० यमुनानुं याम्य वि० दक्षिण दिशानुं (२) यमनुं के यम जेवू (३) पुं० यमनो दूत (४) जमणो हाथ (५) शिव के विष्णु (६) न० भरणी नक्षत्र याम्या स्त्री० दक्षिण दिशा (२) रात्री यायजूक पुं० वारंवार यज्ञ करनारो यायावर वि० भटक्या करतं; स्थिर निवास विना- (२)पुं० विचर्या करतो भिक्षु (३) अश्वमेध माटेनो अश्व यायिन् वि० (समासने छेडे) मुसाफरी करतुं (२) जतुं (३) चडाई करतुं यावक पुं०, न० जवनं भोजन (२) अळतो (३) छाणमांथी मळता जव वीणीने जीवनारो (व्रतधारी) यावज्जन्म, यावज्जीवम्, यावज्जीवेन अ० जीवतां सुधी; आखी जिंदगी सुवी यावत् वि० जेटलं; जेटला प्रमाणनुं (२) अ० ज्यां सुधी (३) दरम्यान (४) जेटल (५) जेथी करीने यावत्कालम् अ० ज्यां सुधी(२) क्षण वार यावत्-तावत् अ० ज्यां सुधी- त्यां सुधी (२) जेवू- के तरत ज (३) दरम्यान (४) ज्यारे - त्यारे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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