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भ्रातरौ
भ्रातरौ पुं० द्वि० व० भाई अने ब भ्रातृ पुं० भाई (२) बंधु; मित्र भ्रातृगंधिक (-न्) पुं० नामनोज भाई भ्रातृजाया स्त्री० भोजाई; भाईनी पत्नी भ्रातृव्य पुं० भत्रीजी (२) प्रतिस्पर्धी ; शत्रु; विरोधी भाग्य न० भाईपणुं [ भ्रम भ्राम पुं० आम तेम भटकवुं ते (२) भूल; भ्रामक वि० भ्रममां नांखनारुं ( २ ) फेरवनाएं ; घुमावनाएं भ्रामरी स्त्री० दुर्गा (२) डाबेथी जमणे प्रदक्षिणा करवी ते
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भ्रामिन् वि० भ्रममां पडेलु भ्राष्ट्रक पुं० न० तवो; कढाई भ्रांत ('भ्रम्' नुं भू० कृ० ) वि० भमेलं; भटकेलं (२) गोळ घूमतुं के घूमेलुं (३) भूलमां पडेलुं (४) मूंझायेलुं (५) न० भटकते (६) भूल
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मकर पुं० मगर; मगरमच्छ मकरकेतन, मकरकेतु, मकरध्वज पुं० कामदेव मदन ( २ ) सागर ; समुद्र मकरंद पुं० फूलमांनुं मध (२) एक फूलझाड ; कुंद [ समुद्र मकराकर, मकरालय, मकरावास पुं० Refer स्त्री० अमुक प्रकारनो माथानो पहेरवेश (खास करीने स्त्रीनो) मकार पुं० ' म' वर्ण (२) ' म' थी शरू . थता आ पांच पदार्थोमांनो दरेक : मद्य, मत्स्य, मांस, मैथुन अने मुद्रा मकुट न० मुगट मक्षिक पुं०, मक्षिका स्त्री० माखी मक्षिकामल न० मीण
मक्षीका स्त्री० माखी
मख पुं० यज्ञ ( २ ) उत्सव ( ३ ) पूजन
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मज्जन्
भ्रांतबुद्धि वि० मूंझायेली के भूलमां पडेली बुद्धिवाकुं
म
भ्रांति स्त्री० भटकवुं ते ( २ ) गोळ फरवु ते ( ३ ) भूल; गोटाळा; भ्रम ( ४ ) मूंझवण (५) संशय ( ६ ) अस्थिरता भ्रुकुटि (टी) स्त्री० जुओ 'भ्रुकुटि' स्त्री० भमर; भ
भ्रू कुटि (टी) स्त्री० भवां चडाववां ते भ्रूक्षेप पुं० भवां चडाववां ते भ्रूण पुं० गर्भ (२) बाळक ; छोकरो (३) श्रोत्रिय के विद्वान ब्राह्मण भ्रूणहत्या स्त्री० गर्भहत्या ( २ ) श्रोत्रिय के विद्वान ब्राह्मणनी हत्या भ्रूभंग, भेद पुं० भवां चडाववां ते भ्रूभेदिन् वि० भवां चडावतुं भ्रूविकार, भ्रूविक्षेप पुं० भवां चडाववां ते भूविचेष्टित न०, भूविभ्रम, भ्रूविलास पुं० विलासमां भवां नचाववां ते
मद्विष् पुं० राक्षस [ करनार ) मृगव्याध पुं० शिव (दक्षयज्ञनो ध्वंस मखांशभाज् पुं० देव
मगध पुं० एक प्राचीन देशनुं नाम ( बिहारनो दक्षिण भाग) (२) चारण मगधेश्वर पुं० मगध देशनो राजा (२) परंतप नामनो राजा ( ३ ) जरासंध मग्न (' मस्ज् ' नुं भू० कृ० ) वि० डूबेलुं (२) तल्लीन
मघ न० बक्षिस ( २ ) समृद्धि मघव, मघवत् पुं० इंद्र
मघवन् वि० दानेशरी ( २ ) पुं० इंद्र (३) घुवड (४) व्यास मुनि [ वाळं मच्चित वि० मारामां आसक्त चित्तमज्जन् पुं० मज्जा
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