________________
भारत ३५१
भावशून्य भारत वि० भरतनुं के भरतमांथी ऊतरी अर्थ; रहस्य (१२) निश्चय (१३) आवेल (२) पं०भरतनो वंशज (३) हृदय; आत्मा (१४) कोई पण सत् भरतवर्षनो वतनी (४) नट (५) न० वस्तु के पदार्थ (१५) प्राणी (१६) भरतवर्ष (६) महाभारत ग्रंथ (७) चिंतन; भावना (१७) चेष्टा; कामभरत मुनिए प्रवर्तावेलुं संगीत अने चेष्टा (१८) जन्म (१९)संसार; जगत नाट्यनुं शास्त्र
(२०) संकल्प (२१) आदरणीय व्यक्ति भारतवर्ष न० जुओ 'भरतवर्ष' . (नाट्य०) (२२) कल्याण (२३) भारती स्त्री० वाणी (२) वाणीनी रक्षण (२४) प्रारब्ध (२५) वासना
देवी सरस्वती (३)एक साहित्य-शैली (२६) प्रभुत्व भारद्वाज पुं० द्रोणाचार्य (२) सप्तर्षि- भावक वि० निपजावनाएं (२) पोतानुं मांना एक ऋषि (३) अगस्त्य (४) हित साधनाएं(३) कल्पना करनारु(४) मंगळ ग्रह (५) न० हाडकुं
सौंदर्य माटे कदर के रुचिवाळू भारवाह पुं० भार वहेनारो
भावगति स्त्री० अंतरनो भाव दर्शाववाभारसह वि० भार ऊंचकी शके तेवू नी शक्ति भारसाधन वि० मोटां के अघरां काम भावगम्य वि० मनना भावथी कल्पेलं पार पाडनाएं
भावत्क वि० आपनुं भारसाह वि० जुओ 'भारसह' भावन वि० सर्जक; निपजावनाएं भारंड पुं० एक कल्पित पक्षी
(२) हित के कल्याण साधनारु (३) भाराक्रांत वि० अतिभारथी लदायेलं पुं० सर्जनार; हेतु; कारण (४) शिव भारिक, भारिन् वि० भार ऊंचकनारं (५)न० सर्जq के प्रगट करवं ते (६) (२) भारे वजनदार (३) पुं० भार कोईनं हित वधारवं ते (७) कल्पनाऊंचकनार माणस; हमाल
शक्ति (८) भावना; श्रद्धा; निष्ठा भारोपजीवन न० भार वहीने जीवq (९) चिंतन, मनन (१०) ज्ञान; ते; मजूर - हमाल- जीवन
समज (११) पर्यालोचन; तपास भार्गव पुं० शुक्राचार्य (२) परशुराम भावना स्त्री० सर्जवु के प्रगटावq ते (२)
(३) जमदग्नि (४) कुंभार । हित के कल्याण साधq ते (३) कल्पना; भार्या स्त्री० (विधिसर परणेली) पत्नी
धारणा (४) निष्ठा; श्रद्धा (५)चिंतन; भाल न० कपाळ; ललाट
मनन (६) औषधने कोई रसमां भालचंद्र, भालदृश, भाललोचन पुं०
बोळी पुट आपवो ते [युक्त शिव
[रीछ भावनायुक्त वि० विचार करतुं; चिंताभालुक, भालूक, भाल्लुक, भाल्लुक पुं० भावबंधन वि० हृदयने मोह पमाडनाएं भाव पुं० अस्तित्व (२) बनवू के थर्बु (२) हृदयोने जोडनाएं। ते (३) स्थिति; स्वरूप ; अवस्था (४) भावमिश्र पुं० सद्गृहस्थ (नाट्य०) प्रकार; पद्धति (५) पद; होद्दो (६) भावयित वि० उत्कर्ष साधनाएं वास्तविकता; सत्य (७) भक्ति; भावरूप वि० वास्तविक; खरं निष्ठा; भावना (८) मूळ स्वभाव (९) भावविकार पुं० कोई पण सत् पदार्थनो वलण; वृत्ति; अभिप्राय; धारणा(१०) गुणधर्म मनोवृत्ति; लागणी (११) तात्पर्य; भावशून्य वि० साचा प्रेम विनानुं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org