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भयापह
कारक
भयावह वि० भय दूर करनारुं भालु वि० बीकण; बीनेलु भयावह वि० भयमां नाखनाएं ; जोखम[सरातुं) भयोत्तर वि० भययुक्त ( भय वडे अनुभर वि० (समासने छेडे ) धारण करनारु; भरणपोषण करनारुं इ० | (२) पुं० बोजो भार ( ३ ) मोटो जथो-संख्यासमुदाय (४) पुष्कळपणुं ( ५ ) उत्तमता; श्रेष्ठता
भरण वि० भरणपोषण करनाएं ( २ ) धारण करनारुं ( ३ ) न० पोषवुं ते (४) धारण करवुं ते ( ५ ) रोजी ; पगार (६) पुं० भरणी नक्षत्र
भरत पुं० दुष्यंत - शकुंतलानो पुत्र ( जेना नाम परथी ' भरतवर्ष ' नाम पडधुं छे ) (२) दशरथ - कैकेयीनो पुत्र (३) नाट्यशास्त्रना कर्ता मुनि (४) नट ( ५ ) भाडती सैनिक भरतखंड पुं० भरतवर्षना एक भागनुं नाम भरतपुत्र पुं० नट
भरतवर्ष पुं० भारत ( प्राचीन नाम ) भरतवाक्य न० संस्कृत नाटकमां अंते मुकातो आशीर्वादनो श्लोक
भरताग्रज पुं० राम (भरतना मोटाभाई) भरात् अ० जुओ 'भरेण ' भरि वि० (समासने छेडे ) भरनाएं; पोषनारुं (उदा० 'उदरंभरि ') भारत वि० पोषेलुं (२) -थी भरेलुं (३) भारवाळु, बोजावाळु भरेण अ० पूरेपूरुं होय तेम; पोतानी सघळी ताकातथी
भर्ग पुं० शिव ( २ ) तेज; दीप्ति भर्गस् न० तेज; दीप्ति
भर्जन वि० शेकनारुं (२) नाश करनारुं (३) न० शेकवुं ते (४) तवो भर्तव्य वि० वहन करवा - ऊंचकवा योग्य (२) भाडे राखवा योग्य
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भववीति
भर्तृ पुं० पति; स्वामी ( २ ) शेठ; मालिक (३) नायक; आगेवान (४) रक्षक; पोषक (५) जगतना स्रष्टा भर्तृचित्त वि० पतिनो विचार करतुं भर्तृदारक पुं० राजकुमार; युवराज ( नाटकमा संबोधन ) भर्तृदारिका स्त्री० राजकुमारी (नाट्य ० ) भर्तृप्रिय, भर्तृभक्त वि० मालिकने वफादार एवं [स्त्री भर्तृमती स्त्री० पति जीवतो होय तेवी भर्स् १० उ० ठपको आपको; तिरस्कार (२) धमकी आपवी
भर्त्सन न०, भर्त्सना स्त्री० धमकी ( २ ) ठपको; तिरस्कार
भर्मन् न० भरणपोषण ( २ ) वेतन; रोजी भल्ल पुं० रींछ (२) पुं०, न० एक जानुं अर्धचंद्राकार बाण ( ३ ) बाणना अमुक भागनुं नाम भल्लूक पुं० रींछ
भव वि० (समासने छेडे ) - मांथी उत्पन्न थनारुं (२) पुं० सत्ता; अस्तित्व (३) जन्म; उत्पत्ति ( ४ ) मूळ (५) संसार ( ६ ) समृद्धि (७) श्रेष्ठता (८) शिव ( ९ ) प्राप्ति
त
भवच्छिद् वि० पुनर्जन्मनो नाश करनाएं भवच्छेद पुं० पुनर्जन्मनो नाश भवत् वि० होतुं यतुं ( २ ) स० ना० ( मानार्थे ) आप तमे (क्रियापदना त्रीजा पुरुषना रूप साथे ) भवती स्त्री० ( मानार्थे ) आप ; भवदीय वि० आपनुं; तमारुं भवन न० अस्तित्व ( २ ) जन्म; उत्पत्ति ( ३ ) निवासस्थान ( ४ ) पात्र ; स्थान (५) मकान ( ६ ) खेतर भवनीय वि० थवानी तैयारीमां होय तेवुं भवभूति पुं० एक प्रसिद्ध कवि भवमोचन पुं० श्रीकृष्ण [ जगतनो अंत भववीति स्त्री० संसारमांथी मुक्ति ( २ )
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