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________________ ३३५ फुल्ल फळं (५) लाकडानी बेठक; बेसवा फलेग्रहि, फलेपाहिन् वि० मोसममां माटे- पाटियुं (६) वल्कल (पहेरवा फळ आपनाएं (वंध्य न रहेनारु) माटेनी वृक्षनी छाल) (७) कमळकोश फलोदय पुं० फळनी उत्पत्ति (२) सफळ फलतंत्र वि० पोतानो ज लाभ ताकनारुं थq ते; इच्छित सिद्ध थर्बु ते फलद वि० फळ आपनाएं (२) लाभदायी फलोद्गम पुं० फळ बेसवां ते फलधर्मन् वि० (फाळनी पेठे) झट फलोपजीविन् वि० फळ वेचीने जीवनाएं परिपक्व थई, नीचे पडी, नाश पामतं फल्गु वि० तुच्छ; नमालु; निर्माल्य फलपूर पुं० बिजोरं [दायी (२) नकामुं; निरर्थक ; अगत्यनुं नहि फलप्रद वि० फळ आपनाएं (२) लाभ- तेवू (३) नार्नु; सूक्ष्म फलप्सु वि० फळ मेळववानी इच्छा फल्गुता स्त्री० असारता; तुच्छता राखनारु [बेसतुं होय तेवू फल्गुन पुं० फागण महिनो (२) इंद्र फलबंधित वि० जेने फळ बंधातुं होय - (३) अर्जुन फलभावना स्त्री० फळ मळवू ते;सफळता फलभूमि स्त्री० करेलां कर्मोनां फळ फल्गुनी स्त्री० (एकवचन, द्वि०व० अने ब०व०मां)एक नक्षत्र(पूर्वा अने उत्तरा) भोगववानुं स्थान (स्वर्ग के नरक) फाणित न० उकाळेलो शेरडीनो रस; फलयोग पुं० फळप्राप्ति; इष्ट वस्तु प्राप्त थवी ते (२) रोजी; महेनताणु काकवी (२) दूधनी एक बनावट फलवत् वि० फळयुक्त; जेने फळ फाल पुं०, न० हळY फळं (२) माथानी बेसतां होय तेवू (२) लाभदायी दरेक बाजु वाळ छूटा पाडीने ओळवा फलशालिन् वि० फळयुक्त; सफळ (२) ते (३) कपाळ ; भाल (४) भारो; फळ के परिणाममां हिस्सो मळवानो एकत्रित बांधेलो झूडो (घास, होय तेवू लाकडां इ० नो) फलसिद्धि स्त्री० फळ प्राप्त थq ते; फालिका स्त्री० टुकडो इच्छित वस्तु सिद्ध थवी ते फाल्गुन पुं० फागण मास (२) अर्जुन फलागम पुं० फळ बेसवां ते (२)फळनी फांट पुं०, स्त्री० उकाळो; क्वाथ मोसम ; शरद ऋतु फुट्टक न० एक जातनुं वस्त्र फलाढय वि० फळथी भरेलु फुट्टिका स्त्री० एक जातना वणाटवाळू फलानमेय वि० परिणामथी जेन [(३) चीस अनुमान थई शके तेवू फुत्कार पुं० फूंकवं ते (२) फूफाडो फलाहार पुं० फराळ फुत्कृ ८ प० फूंक (२) चीस पाडवी फलित (‘फल्'न भू० कृ०) वि० फळ फुत्कृत वि० फूकेलं; फूकीने ऊभुं बेठां होय तेवू; फळ आपनाएं (२) करेलु (परपोटो) (२) चीस पाडी सिद्ध थयेलं (इच्छा) होय तेवू (३) न० फूकीने वगाडाता फलिन् वि० फळ बेसे तेवू; फळयुक्त वाद्यनो अवाज (४) चीस (२) लाभदायक; फळदायक (३) फुत्कृति स्त्री० जुओ 'फुत्कार' (२) लोखंडना फळावाळू (४) पुं० वृक्ष फूंकीने वाद्य वगाडवू ते (३) फूफाडो फलिन वि० फळयुक्त ; फळ आपे तेवू फुप्फुस पुं० फेफसुं फलिनी, फली स्त्री० प्रियंगुलता(आंबानी फुराफुरायते (फफडवं) पत्नी गणाय छे) फुल्ल १५० खीलवू; फूलवू; विकस, पोन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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