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प्रासाद
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प्रियवादिन् प्रासाद पुं० महेल; हवेली (२) राजमहेल प्रसन्न करे तेवु (३) -चाहतुं होय तेवं (३) देवालय (४)अगाशी
(४) मोघु (५) पति ; प्रीतम (६)न० प्रासादगर्भपुं० महेलनी मध्यनो ओरडो; प्रेम (७) अनुकूळ - मनगमतुं ते (८) महेलनो सूवानो ओरडो
मनगमता समाचार (९)खुशी; प्रसन्नता प्रासादतल न० महेलनी छत के अगाशी प्रियक पुं० एक जातर्नु हरण (२) एक प्रासादपृष्ठ पुं० महेलनी टोचे आवेलं जातनो कदंब (नीप) (३)प्रियंगु लता छजु के अगाशी
(४) न० एक फूल ('अशन ' वृक्षनु) प्रासाद,ग न० महेल के मंदिरनी टोच प्रियकारक वि० प्रिय करनारुं (२) प्रासादिक वि० प्रसाद - कृपा रूपे मळेलु माया ताथी वर्तनाएं (३) मित्र ; हितैषी
(२) माया मित्रताभर्यु (३) सुंदर प्रियकारित्व न० मायाळताथी वर्तवू ते प्रास्ताविक वि० प्रस्तावना के उपोद्घात प्रियकारिन् वि० मायाळताथी वर्तनाएं
रूप (२)प्रस्तुत (३)प्रसंगोचित प्रियकी स्त्री. 'प्रियक' हरण- चामडु प्रास्थानिक वि० प्रस्थान - प्रयाणना प्रियजन पुं० वहालं माणस [एवो पति समयने लगतुं (२)प्रयाण माटे उचित प्रियजानि पुं० पत्नी जेने अति प्रिय छे के अनुकूळ एवं
प्रियजीविता स्त्री० जीवन प्रिय होवं ते प्राह (प्र+ अह) (परोक्ष भूतकाळ रूप प्रियतम वि० सौमां अत्यंत प्रिय एवं (२) 'प्राह' ज वपराशमां छे) जाहेर
पुं० पति; प्रीतम कर (२)बोलावq
प्रियतमा स्त्री० पत्नी; प्रिया प्राहुण पुं० अतिथि ; परोणो
प्रियतर वि० वधु प्रिय (बेनी तुलनामां) प्राल पुं० दिवसनो प्रथम प्रहर प्रियदर्श वि० देखवू गमे तेवं ; मनोरम प्रांग न० ‘पणव' नामनुं वाद्य प्रियदर्शन वि० जुओ 'प्रियदर्श' (२)न० प्रांगण (-न) न: आंगणुं; फळियु (२) प्रियजन जोवा मळवू ते माळ (घरनो)
प्रियशिन् वि० कृपादष्टिथी जोनाएं प्रांच वि० आगळy; सामेनू (२) पूर्व (२) पुं० अशोक राजा
तरफनु(३)अगाउनु [सीधुं; टटार प्रियदेवन वि० चूतप्रिय प्रांजल वि० प्रामाणिक; सरळ (२) प्रियधन्व पुं० शिव प्रांजलिन् वि० बे हाथ जोड्या होय तेवू प्रियनिवेदन न० सारा समाचार प्रांत पुं० छेडो; किनारी (२) खूणो प्रियप्रश्न पुं० क्षेमकुशळ अंगे प्रश्न (जेम के, आंखनो) (३) सीमा; हद प्रियप्राय वि० अत्यंत प्रेमाळ के मायालु (४) छेडो; अंत
प्रियभाव पुं० प्रेमनी लागणी प्रांतर न० निर्जन के वेरान रस्तो प्रियम् अ० गमतुं होय ते रीते प्रांतविरस वि० अंते - परिणामे रस प्रियमंडन वि० शणगार जेने प्रिय छे तेवू विनानुं नीवडनारं
प्रियवक्तृ वि० खुशामतियु प्रांतवृत्ति स्त्री० क्षितिज
प्रियवचन वि० प्रिय-मधुर बोलनारं प्रांशु वि० ऊंचुं; उन्नत (२)लंबायेल; (२) न० प्रिय लागे तेवी वाणी लांबु (३)पुं० ऊंचो माणस
प्रियवाच स्त्री० मधुर वाणी प्रांशुप्राकार वि० लांबी दीवालोवाळू प्रियवादिन वि० प्रिय लागे तेवू बोलनारुं; प्रिय वि० वहालुं ; मानीतुं (२) अनुकूळ ; खुशामतियु
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