________________
प्रदीप
प्रत्येक
३१२ प्रत्येक वि० दरेक
(५)अनुकूळ (६)पुं०, न० प्रदक्षिणा प्रत्येकम् अ० दरेकमां; दरेकने (२) करवी ते [प्रदक्षिणा करवी ते एक वखते एक; जुदुं जुदूं
प्रदक्षिणक्रिया स्त्री०, प्रदक्षिणन न० प्रथ् १ आ० वध (२) फेलावू (३)
प्रदक्षिणम् अ० डाबीथी जमणी बाजुए प्रसिद्ध थर्बु (४)प्रगट थर्बु (५)१० उ०
(२) जमणी बाजुए (पोतानी जमणी फेलावq; जाहेर करवू (६) प्रगट
बाजु ते तरफ रहे ते रीते) (३)दक्षिण करवू; दर्शावq (७) विस्तृत करवू
तरफ (४) सौ सारां वानां होय तेम प्रथम वि० पहेलं; मुख्य ; प्रधान (२)
प्रदक्षिणा स्त्री० (पोतानी जमणी बाजु श्रेष्ठ; उत्तम (३) सौथी पहेलांनु;
ते तरफ रहे ते प्रमाणे)आसपास गोळ सौथी प्राचीन (४) पहेलांनु; अगाउनुं
फरवं ते (पूज्यभाव दर्शाववा) प्रथमगिरि पुं० उदयाचल
प्रदक्षिणाचिस् वि० जमणी बाजु ज्वाळाप्रथमतस् अ० पहेलेथी; प्रथमथी (२)
ओ नोकळती होय तेवू [बाजु वळेलं तरत ज; एकदम (३) अगाउ;-नो
प्रदक्षिणावर्त,प्रदक्षिणावृत्क वि० जमणी पसंदगीमा प्रथम होय तेम
प्रदक्षिणीक ८ उ० प्रदक्षिणा करवी
प्रदग्ध वि० बळी गयेलं प्रथमदिवस पुं० पहेलो दिवस
प्रदर पुं० फाडवू- चीर ते (२) फाट; प्रथमम् अ० पहेली वार (२) अगाऊ; पहेलां (३) एकदम ; तरत ज (४)
चीरो (३) लश्करने वेरविखेर करवू
ते (४)बाण (५)स्त्रीओनो एक रोग ताजेतरमा
प्रदर्शक वि० बतावनाएं; प्रगट करनारुं प्रथमवयस् न० पहेली अवस्था; जुवानी
(२) पुं० आचार्य; पेगंबर प्रथमा स्त्री० पहेली विभक्ति (व्या०)
प्रदर्शन न० देखाव (२) प्रगट करवं प्रथमाश्रम पुं० ब्रह्मचर्याश्रम (चार
ते; देखाडवु ते (३) शोखवतुं ते; आश्रममा पहेलो)
समजावq ते (४) दृष्टांत प्रथमेतर वि० बीजु
प्रदा ३ उ० आपवू; अर्पण करवं प्रथमोदित वि० प्रथम कहेल
(२) शीखवतुं (३) परणावh (४) प्रथा स्त्री० प्रसिद्धि ; ख्याति
चूकवी देवु (ऋण) प्रथित ('प्रथ्' नुं भू० कृ०)विस्तारेलु; प्रदान न० आप ते; दान (२) लग्न वधेलु ; पसरेलु (२) जाहेर थयेलं; (३) शीखवq ते (४) बक्षिस'; भेट प्रसिद्ध (३) दर्शावेलं; प्रगट । (५) खंडन (६) परोणो प्रथिमन् पुं० विस्तार; विशाळता प्रदाय न० भेट ; बक्षिस प्रथिष्ठ वि० सौथी वधु विशाळ प्रदायक, प्रदायिन् वि. आपनाएं ('पृथु 'नु श्रेष्ठतादर्शक रूप)
प्रदि पुं० बक्षिस; भेट प्रथीयस् वि० (बेमां) वधु विशाळ ; प्रदिग्ध वि० खरडायेल; लेपायेलं मोटुं ('पृथु'न तुलनात्मक रूप) (२) प्रदिश् ६५० बताव; दर्शावq (२) वधु विख्यात [(उदा० 'सुखप्रद')
कहे; जणाव, (३) आपवू (४) प्रद वि० (समासने छेडे) -आपनाएं हुकम करवो;प्रेरवु (५) सलाह आपवी प्रदक्षिण वि० जमणी बाजु आवेल; प्रदिश् स्त्रो० बे दिशा वच्चेनो खूणो जमणी बाजु जतुं (२) आदरयुक्त प्रदीप पुं० दीवो (२)-नुं विवरण करतो (३) शुभ ; शुभ शुकनरूप (४) कुशळ ग्रंथ (ग्रंथना नामने छेडे)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org