SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 323
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतुष्टि ३०१ प्रतुष्टि स्त्री० संतोष प्रतूर्ण वि० झडपी; वेगीलं . प्रत १ प० ओळंग ; पार करवू -प्रेरक० छेतर (२) लंबावq; वधारवं [चाबुक प्रतोद पुं० अंकुश; परोणो (२) लांबी प्रतोली स्त्री० धोरी रस्तो प्रत्त वि० आपेलं ; दीधेलु (२)परणावेलु प्रत्यक् अ० ऊलटुं; विरुद्ध दिशामां (२) पश्चिम तरफ (३) अंदरनी बाजु (४) पहेलां प्रत्यक्ष वि० देखी शकाय तेवू (२) आंखनी सामे होय तेवू (३) कोई पण इंद्रियथी जाणी शकाय तेवू (४) स्पष्ट (५) न० इंद्रियो द्वारा थतुं ज्ञान ; तेन साधन के प्रमाण (न्याय०) प्रत्यक्षम् अ० -नी समक्ष; -नी नजर सामे (२) जाहेरमां (३) स्पष्टताथी प्रत्यक्षयति प० (प्रगट करवू; बतावq) प्रत्यक्षात् अ० जुओ 'प्रत्यक्षम्' प्रत्यक्षिन् वि० नजरे जोनाएं प्रत्यक्षीकृ ८ उ० नजरे जोवू प्रत्यक्षे अ० –नी नजर सामे प्रत्यक्षेण अ० जुओ 'प्रत्यक्षम्' प्रत्यक्स्रोतस् वि० पश्चिम तरफ वहेतुं प्रत्यगात्मन् पुं० जीवात्मा के कहेलु प्रत्यग्र वि० नवं; ताजु(२)वारंवार करेलु प्रत्यग्रवयस् वि० जुवान; तरुण प्रत्यच् वि० -तरफ वळेलं; अंदरनी बाजु वळेलु (२)-नी पाछळ होय तेवं (३) पछी- (४) पार्छ वळेल के वाळेलु (५) पश्चिम तरफनुं (६) अंदरनुं (७) -नी समान (८) पुं० जीवात्मा (९) भविष्यकाळ प्रत्यनंतर वि० पासेन; नजीकनं (२) वारसदार तरीके नजीकर्नु (३) तरत पछी- (क्रममां) [ज नजीक प्रत्यनंतरम् अ० तरत ज पछी; तरत प्रयविभूत प्रत्यनीक वि० विरोधी; ऊलटुं(२) पुं० शत्रु (३)न० दुश्मन- सैन्य (४) दुश्मनावट [करेलो अपकार प्रत्यपकार पुं० अपकारना बदलामां प्रत्यग्वम् अ० दर वर्षे [आवq प्रत्यभिज्ञा ९ उ० ओळखवू (२)भानमां प्रत्यभिज्ञा स्त्री० ओळखवं ते प्रत्यभिज्ञान न० ओळखाण ; ओळखवू ते (२)ओळखवा माटे आपेली निशानी प्रत्यभिनंद् १५० सामु अभिनंदन करवू (२) स्वागत करवू प्रत्यभिभाषिन् वि० संबोधतुं;-ने कहेतुं प्रत्यभियोग पुं० सामो आरोप प्रत्यभिवद् -प्रेरक० सामु अभिवादन करवू; सामो नमस्कार करवो प्रत्यभिवादन न० वंदन करनारने साम वंदन कर के आशीर्वाद आपवो ते प्रत्यभ्युत्थान न० सत्कार करवा सामा ऊभा थर्बु ते प्रत्यय पुं० प्रतीति; खातरी (२) विश्वास; श्रद्धा (३) अभिप्राय; ख्याल (४) ज्ञान; वेदना; अनुभव (५) कारण; कार्यनो हेतु (६) रूपो के साधित शब्दो बनाववा शब्दने अंते लगाडाय छे ते (व्या०) प्रत्ययकारक, प्रत्ययकारिन् वि० खातरी के विश्वास उपजावनाएं प्रचित वि० जवाबमां सामो नमस्कार जेने को होय तेवू प्रत्य) १० आ० पडकारवू प्रत्यर्थ वि० उपयोगी; कार्यसाधक (२) न० जवाब (३) दुश्मनावट । प्रत्यर्थम् अ० दरेक पदार्थनी बाबतमां (२) दरेक दाखलामां प्रयर्थिक पुं० दुश्मन; विरोधी प्रथिन् वि. विरोधी प्रतिवादी (२) पुं० शत्रु (३)हरीफ (४) आरोपी (५)विघ्न [थयेलं प्रथिभूत वि० नडतर के डखलरूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy