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________________ प्रतिदा ३०३ प्रतिप्रिय प्रतिदा १५० [प्रतियच्छति] विनिमय स्वीकार (४) फरीथी प्राप्त कर करवो (२) ३ उ० [प्रतिददाति, (५) पकड (६) मानवू; गणवं प्रतिदत्ते] पार्छ वाळवू (७) माथे लेवू; हाथमां लेबु (कार्य) प्रतिविनम् अ० दररोज; हमेशा (८) संमत थर्बु (९) आचरवं; अमल प्रतिद्वंद्विन् वि० शत्रुतावाळं (२) करवो (१०)वर्तवू(११)पार्छ वाळवं विरोधी; प्रतिकूळ (३) हरीफ (जवाब) (१२) जाणवू; समजवू प्रतिध्वनि, प्रतिध्यान पुं० जुओ'प्रतिरव' -प्रेरक० अर्पq (२) साबित करवू प्रतिनद् १ प. पडघो पडवो (२)बूम (३) समजावq (४)पार्छ लई जवू पाडीने जवाब आपवो प्रतिपद् स्त्री० सुद पडवो -प्रेरक० अवाजथी भरी काढवू प्रतिपदम् अ० पदे पदे; पगले पगले प्रतिनव वि० नवं;ताजु(२)तरतर्नुखीलेलं (२) दरेक जगाए प्रतिनं १५० आशीर्वाद आपवो (२) प्रतिपदा (-दी) स्त्री० सुद पडवो स्वागत करवू; अभिनंदवू प्रतिपन्न वि० मेळवेलं ; प्राप्त करेलु (२) प्रतिनाद पं० प्रतिध्वनि; पडघो साधेलु; आचरेल (३) स्वीकारेलं प्रतिनारी स्त्री० हरीफ स्त्री (४) कबूल करेलु (५) जाणेलु; प्रतिनिधि पुं० अवेजी; ने बदले काम समजेलं (६) साबित करेलु करवा नियुक्त करेलो माणस (२) प्रतिपादन न० अर्पवं ते (२)साबित के सिद्ध करवं ते (३) शरूआत ; आरंभ प्रतिमा; मूर्ति (३) जामीन प्रतिपादित वि० अर्पल (२)सिद्ध करेल प्रतिनिनद पु० जुओ 'प्रतिनाद' के थयेलु (३)समजावेलु (४)प्रगटेलं प्रतिनियत वि० नियंत- मक्की थयेलं प्रतिपाद्यमान वि० अपातुं ; देवातुं (२) अटळ ; दृढ प्रतिपान न० पीवानुं पाणी (२)पाणी प्रतिनिजित वि० हरावेलं; ताबे करेल पिवराव ते (२) रदबातल करेलु ; पार्छ खेंचेलं प्रतिपाल -प्रेरक० रक्षण कर (२) प्रतिनिविष्ट वि० जक्की; दुराग्रही राह जोवी (३) आज्ञा पाळवी (४) प्रतिपक्ष वि० समान; सदृश (२) उछेर (५) आचर; पाळवं पुं० सामो पक्ष (३) विरोधी; हरीफ प्रतिपालन न० रक्षण करवू ते (२) (४) उपाय; प्रायश्चित्त आचरQ के पाळवू ते प्रतिपच्चंद्र पुं० पडवानो चंद्र प्रतिपुरुष पुं० सरखो माणस;प्रतिनिधि प्रतिपण पुं० होड; सामी होड (२)साथी (३)पुरुषनी आकृतिनुंबावलं प्रतिपत्ति स्त्री० मेळवq ते; प्राप्ति (२) । प्रतिपूजित वि० सामु वंदन करवामां ज्ञान; भान; समज (३) स्वीकार आव्युं होय तेवू (२) संमानेलं (४) शरू करवू ते; माथे लेवू ते (५) प्रतिपूरुष पुं० जुओ 'प्रतिपुरुष' कार्य; कर्तव्य; वर्तन (६) निश्चय । प्रतिपूर्ण वि० विस्तृत; पहोळं (७) समाचार (८) आदर; संमान प्रतिप-प्रेरक० पूरेपूरुं भरी काढवू (२) (९) दान (१०) उपाय; मार्ग ; रस्तो तृप्त करवू; संतुष्ट कर [दान प्रतिपथम् अ० मार्गे; रस्ते प्रतिप्रदान न० पार्छ वाळवू ते(२)कन्याप्रतिपद् ४ आ० पामवं; पहोंचवू (२) प्रतिप्लवन न० पाछो कूदको मारवो ते दाखल थq; अनुसरवं (मार्ग) (३) प्रतिप्रिय न० प्रत्युपकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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