________________
निगी
२३८
निदर्शन निगीर्ण वि० गळी जवायेलं; गळेलुं निचुलक न० छातीनुं बख्तर (२)पेटी (२)छुपायेलं; ढंकायेलं
(धनुष्य इ० नी) निगूढ वि० संतायेलं; संताडेलु (२) निचुलित वि० पेटीमा मूकेलं
छानु; गुप्त (३) गूढ़; रहस्यरूप निचोल पुं० ओछाड; ढांकण (२) बुरखो निगूढम् अ० गुप्त रीते
निचोलक पुं० चोळी; कबजो (२) निगहन न० संताडवू के गुप्त राखq ते छातीनुं बख्तर [नाहq; शुद्ध थर्बु निगृहित वि० पकडेलु; अटकावेलं; निज् ३ उ० धोवं; स्वच्छ करवू (२)
रोकेल (२)हरावेल (दलीलमां) निज वि० पोतार्नु (२) सहज (३) निगृहीति स्त्री० काबू; अंकुश (२) विशिष्ट ; खास पराभव; पराजय
निटल, निटिल न० कपाळ निग्रह ९ प० [निगृह्णाति] निग्रह निडीन न० पक्षी- ऊडतां ऊडतां करवो; अंकुशमां राखq (२)रोकवू; नीचेनी तरफ वळवू ते अटकाव (३) सजा करवी (४) नितराम् अ० अत्यंत (२)पूरेपूरूं; तद्दन पकडवू; लेवु (५)वश करवू; हरावQ (३) चोक्कस; नक्की (४) सतत (६) बंध करवू; मींचq
नितल न. एक पाताळ निग्रह पुं० काबू; अंकुश (२) निरोध; नितंब पुं० कूलो;थापो (स्त्रीनो) (२) रुकावट (३) वश के ताबे करवू ते (४)
पर्वतनो ढोळाव - बाजु (३) नदीना दूर करवू ते (५) केद; बंधन (६) किनारानो ढोळाव [वाळी स्त्री उपचार; उपाय (रोगनो) (७)
नितंबवती स्त्री० भारे अने ढळता नितंबशिक्षा; सजा (८) उल्लंघन
नितंबिन् वि० सुंदर अने ढळता नितंनिग्राह पुं० एक प्रकारनो शाप (२)सजा बवाळू (२) सुंदर ढोळाव के बाजुनिघर्ष पुं०, निघर्षण न० घसवू ते; वाळं (पर्वत) घसावं ते
नितंबिनी स्त्री० जुओ 'नितंबवती' निघंट (-) पुं०, शब्दसूचि; शब्दोनो नितांत वि० अतिशय ; असाधारण कोश (खास करीने यास्के समजावेला
नितांतम् अ० अत्यंत; घणुंज वैदिक शब्दोनो)
नित्य वि० शाश्वत ; अविनाशी; कायमनिघात पुं० प्रहार
नुं (२) अवश्य करवान; वैकल्पिक निघ्न वि० ताबेदार; अधीन
नहीं तेवू (३)रोजर्नु; सामान्य ('नैमिनिघ्नान वि० हणतुं; हणनारुं
त्तिक'थी ऊलटुं) (४) (समासने अंते) निचय पुं० संग्रह; ढगलो (२) निधि; हमेशां रहेतुं (५)हमेशां रत रहेतुं
भंडार (३) समूह (घटक भागोनो) । नित्यकर्मन् न० दररोज करवानुं निचयिन वि० -थी भरेलं; -थी पूर्ण धार्मिक कार्य निचि ५ उ० एकळु करवू; ढगलो नित्यजात वि. नित्य जन्मवावाळं
करवो (२)पाथरवं; ढांक; छाएँ नित्यम् अ० हमेशा निचित वि० ढंकायेलं; छवायेलं (२) नित्यशस् अ० दररोज
परिपूर्ण (३) ढगलो करायेलं निदर्शक वि. जोनाएं (२) दर्शावनाएं निचुल पुं० एक जातनुं बरु (२) कालि- निवर्शन वि० दर्शावनाएं; जाहेर करदासनो (समकालीन)कविमित्र
नाएं (२) उपदेशनाएं (३) न०
मन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org