________________
प्रोणायन २२१
द्विरेफ द्रोणायन, द्रोणायनि, द्रौणि पुं० द्विगु वि० बे गायना बदलामां मळेलं द्रोणाचार्यनो पुत्र - अश्वत्थामा
(२)पुं० एक समास (व्या०) द्रौपदी स्त्री० द्रुपद राजानी पुत्री- द्विगुण, द्विगुणित वि० बेवडु; बमणुं
पांडवोनी पत्नी [राजानो पुत्र द्विज पुं० ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य - एत्रण द्रौपदेय पुं० द्रौपदीनो पुत्र (२) द्रुपद वर्णोमांनो दरेक (उपनयन-संस्कार रूप द्वय वि० बेवडुं; बमणुं (२)बे प्रकारनुं
बीजो जन्म पामेलो) (२) ब्राह्मण (३) (३)न० युग्म; जोडु
पक्षी; कोई पण अंडज प्राणी (४) वयवादिन्.वि० अप्रमाणिक (२)द्वैतवादी
दांत (५)तारो यस वि० '-सुधी पहोंचतुं'; जेटलुं
द्विजपति, द्विजराज पुं० चंद्र ऊंचु के ऊंडु' (उदा० 'नितंबद्वयस')
द्विजाति पुं० जुओ 'द्विज' द्वंद्व पुं० एक समास (व्या०) (२)
द्विजिह्व पुं० साप (२) चाडियो;
चुगलीखोर न० जोडु; जोडकुं (३) बे जण वच्चेनुं
गरुडपक्षी
द्विजेश, द्विजेंद्र पुं० चंद्र (२)कपूर (३) युद्ध (४) एकांत - गुप्त स्थळ
द्वितय वि० बने; बेउ (२) न० जोडकुं द्वंद्वचर पुं० चक्रवाक पक्षी । द्वंद्वदुःख न० शीत-उष्ण, सुख-दुःख
द्वितीय वि० बीजं (२)पुं० पुत्र ; दीकरो वगेरे द्वंद्वोथी उत्पन्न थतुं दुःख
(कुटुंबमां पिता पछी बीजुं स्थान
भोगवतो) (३) साथी; सोबती द्वंद्वयुद्ध न० बे जण वच्चे- युद्ध
(समासने छेडे) (४)न० अर्को भाग द्वंद्वशस् अ० बब्बेना जोडकामां
द्वितीयम् अ० बीजी वार; फरीथी द्वादशात्मन् पुं० सूर्य
द्वितीयवत् वि० सोबती-साथी साथेनुं द्वापर पुं०, न० चारमांनो श्रीजो युग
द्वितीया स्त्री० बीज (तिथि) (२)पत्नी; (२) बे टपकांवाळी पासानी बाजु
सहचरी (३) बीजी विभक्ति (व्या०) द्वार स्त्री० द्वार; दरवाजो; बारj
द्वितीयाश्रम पुं० गृहस्थाश्रम द्वार न० बारj (२)साधन ; उपाय
द्वित्र वि० (ब० व०) बे के त्रण द्वारका स्त्री० द्वारिका नगरी
द्वित्व न० युगल ; जोडु (२)द्वैत ; बेपणं द्वारप, द्वारपाल पुं० दरवान
(३) बेवडायेलोप्रयोग (व्या०) द्वारपिधान पुं० बारणानो आगळो (२)
द्विध वि० बे प्रकारनं; बेरीतनुं समाप्ति; अंत
द्विधा अ० बे प्रकारे; बेरीते द्वारवती, द्वारावती स्त्री. द्वारिका द्विप पुं० हाथी द्वारिक पुं० द्वारपाळ
द्विपद् वि० बे पगवाळं द्वारिका स्त्री० द्वारका
द्विपद पुं० (बे पगवाळो) माणस द्वारिन् पुं० द्वारपाळ वापर, द्विपाद वि० बे पगवाळू द्वारीकृ८ उ० माध्यम के साधन तरीके द्विपाद पुं० (बे पगवाळो) माणस (२) वास्थ, द्वाःस्थित पुं० द्वारपाळ
पक्षी (३) देव बांधेला वाळ द्वि वि० (द्वि० व०) बे; बन्ने (पहेली
द्विफालबद्ध पुं० सेंथी पाडीने बे भागमा विभ० 'द्वौं पुं०, 'द्वे' स्त्री०, द्वे' न०) द्विरद पुं० हाथी शरभ प्राणी द्विक वि० बे संख्यावाळू (२)बीजु (३) । द्विरदाराति, द्विरदांतक पुं० सिंह (२) बीजी वार बनतुं (४) सेंकडे बै टका द्विरुक्ति स्त्री० पुनरुक्ति जेटलुं(५)पुं० कागडो (६) चक्रवाक विरेफ पुं० भमरो (बे 'र'-कार वाळो)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org