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दुःस्थ
दुःस्थ वि० दु:खी; विपद्ग्रस्त ( २ ) गरीब ; कंगाळ (३) मूर्ख; अज्ञ दुःस्थम् अ० अस्वस्थ - बीमार होय तेम दुःस्थित वि० जुओ 'दुःस्थ' दुःस्मर वि० याद करवुं मुश्केल के दुःखदायक होय तेवुं
४ आ० (केटलाकने मते 'दु' नुं कर्मणि रूप ) दुःखी थबुं; पीडा पामवी; खिन्न थवुं ( २ ) दुःख आपवुं दूत, इतक पुं० दूत; कासद ( २ ) परराज्यमां मोकलातो प्रतिनिधि दूतिका, दूती स्त्री० संदेशो लई जनार स्त्री दून ( 'दु'नुं भू० कृ० ) वि० दु:खी ; पीडित; खिन्न
दूर वि० आघेनुं ; लांबा समयनुं; ऊंचं (२) अतिशय; घणुं ( ३ ) न० अंतर; छेटु (स्थळ के काळमां ) दूरग, दूरगत वि० दूर गयेलुं ; दूरनुं (२) खूब वध गयेलुं
दूरतः अ० दूरथी; छेटेथी; आघेथी दूरदर्शिन् वि० दीर्घदृष्टिवाळं (२) पुं० (३) क्रांतदर्शी ऋषि ( ४ ) विद्वान दूरदृष्टि स्त्री० दीर्घदृष्टि (२) दूरनं जो ते [तोडी पाडे तेव दूरपात, दूरपातिन् वि० दूरथी ताकीने दूरपात्र वि० पहोळा पात्रवाळु (नदी) दूरपार वि० बहु पहोळु (नदी) (२) मुश्केलीथी पार करी शकाय तेव दूरबंषु वि० पत्नी अने सगांसंबंधीथी अळ पडेल दूरम् अ० आघे ; छेटे दूरवर्तिन् वि० दूर रहेलुं; दूरनुं दूरविलंबिन् वि० खूब नीचुं झझूमतुं दूरसंस्थ, दूरस्थित वि० दूर रहेलुं दूरात् अ० दूरथी; आघेथी ( २ ) मोटा प्रमाणमा ( ३ ) दूरना समयथी दूरापेत वि० तद्दन अप्रस्तुत दूरारूढ वि० ऊंचे चडेलुं (२) खूब वधी गयेलुं; तीव्र; जोरदार
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बुतमन्यु
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दूरीकृत वि० दूर खसेडेलुं (२) छूटुं पाडेलु; लई लीलु (३) निवारेल (४) पार्छु पाडी दीधेलुं दूरे अ० आधुं; छेटे दूरेण अ० दूरथी (२) मोटा प्रमाणमां दूरोत्सारित वि० दूर खसेडेलुं दूर्वा स्त्री० एक घास - दरो दूष वि० ( समासने छेडे ) दोषित कर - नारुं (उदा० 'पंक्तिदूष' ) दूषक वि० अपवित्र के भ्रष्ट करनाएं (२) दोषजनक (३) उल्लंघन करनारुं (४) अधार्मिक; अपराधी दूषण वि० दूषित करनाएं; भ्रष्ट करना (२) न० दूषित करवुं ते (३) उल्लंघन करवुं ते (४) दोष ; कलंक (५) ( दलीलनुं ) खंडन ; विरोध करवो ते (६) दोष ; अपराध ; पाप दूषित वि० दोषयुक्त करायेलुं; अपवित्र के भ्रष्ट करायेलुं (२) खंडित ; भंग थयेलुं के कराये (३) निंदित; कलंकित (४) मेलुं थयेलुं; खरडाये लुं (५) न० दोष ; अपराध दूष्य न० कपास ( २ ) वस्त्र (३) तंबू वृ ६ आ० [द्रियते] (मुख्यत्वे 'आ' उपसर्ग साथै वपराय छे ) जुओ 'आदृ' वृक्पथ पुं० दृष्टिमर्यादा वृक्पात पुं० दृष्टि - नजर नाखवी ते वृक्संगम पुं० नजरे जोवुं तथा भळवु ते दृग्गोचर वि० दृश्य; दृष्टिमर्यादामां आवतुं ( २ ) पुं० दृष्टिनी मर्यादा - हद दृढ वि० स्थिर; निश्चळ ( २ ) मजबूत; सखत ( ३ ) अत्यंत ( ४ ) निश्चित वृढनाभ पुं० अस्त्रने रोकवानो मंत्र वृढप्रत्यय पुं० दृढ विश्वास - खातरी बृढम् अ० सखत - मजबूत होय तेम (२) अत्यंत ; जोसथी ( ३ ) पूरेपूरुं दृढमन्यु वि० खूब गुस्सावाळं ( २ ) खूब शोकबाळं
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