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अग्रे
अग्नित्रय अग्नित्रय न० त्रण प्रकारना अग्नि (दक्षिण, गार्हपत्य, आहवनीय) अग्निदातृ वि० अग्निसंस्कार करनारुं अग्निदीपन वि० जठराग्नि प्रदीप्त करनारं
पणानी परीक्षा अग्निपरीक्षा स्त्री० अग्नि वडे साचाअग्निपर्वत पुं० ज्वाळामुखी पर्वत । अग्निप्रवेश पुं० (स्त्रीतुं) सती थq ते अग्निमंथ पुं० घर्षणथी अग्नि उत्पन्न करवो ते अग्निमांद्य न० जठराग्निनी मंदता अग्निमुख पुं० देव (२) ब्राह्मण (३)
अग्निहोत्री अग्निवर्धक वि० जठराग्नि वधारनारं अग्निवाह पुं० धुमाडो (२) बकरो अग्निवाहन न० बकरो अग्निशाला स्त्री० अग्निहोत्रनुं स्थान अग्निशिखा स्त्री० ज्वाला अग्निष्टोम पुं० एक प्रकारनो यज्ञ अग्निसंस्कार पुं० प्रेतक्रिया अग्निहोत्र न० शास्त्रोक्त अग्निमां
सवारसांज होम करवानुं कर्म अग्निहोत्रिन् पुं० अग्निहोत्र करनार अग्न्यस्त्र न० अग्नि वरसतुं अस्त्र अग्न्याधान न० मंत्रपूर्वक अग्निनं स्थापन (२) अग्निहोत्र अग्न्युत्पात पुं० आकाशमां देखातो अनिष्टसूचक प्रकाशवाळो उपद्रव (उल्का, धूमकेतु इ०) अग्न्युपस्थान न० अग्निनी पूजा (२)
अग्निहोत्र अग्र वि० सौथी आगळ ; पहेलु (२) पुं० अस्ताचल (३) न० टोच उपरनोछेडानो भाग (४) ध्येय; हेतु (५) शिखर (६) कोई पण वस्तुनो श्रेष्ठ भाग (७) उत्कर्ष (८) प्रारम्भ (९) आधिक्य अप्रग पुं० आगेवान अग्रगण्य वि० गणतरीमां पहेलु; श्रेष्ठ
अग्रज वि० प्रथम जन्मेलुं (२) पुं० मोटो
भाई (३) ब्राह्मण अग्रजन्मन् पुं० मोटो भाई (२)ब्राह्मण अग्रजा स्त्री० मोटी बहेन अप्रणी वि. आगेवान (२) पुं० अग्नि अग्रतः अ० सौथी आगळ ; मोखरे (२) हाजरीमां
जनार दूत अग्रदूत पुं० आगळथी समाचार लई अग्रदेवी स्त्री० पटराणी पूजानुं मान अग्रपूजा स्त्री० श्रेष्ठ पुरुषने अपातुं प्रथम अग्रबीज वि० डाळखी रोपवाथी ऊगे तेवू (२) जेनी कलम थई शके तेवू अग्रभाग पुं० प्रथम भाग; श्रेष्ठ भाग(२)
शेष भाग अग्रभुज वि० जमवामां पहेलु (२)खाउधरूं अग्रभूमि स्त्री० अंतिम ध्येय; महत्त्वा
कांक्षानुं ध्येय (२) टोचनो भाग अग्रमहिषी स्त्री० पटराणी । अग्रयान वि० सौथी आगळ चालनारं
(२) न० मोखरानुं सैन्य अग्रयायिन् वि० आगळ जनाएं अनयोधिन् पुं० मुख्य योद्धो अग्रवात पुं० ताजो पवन अग्रसर पुं० अग्रेसर; आगेवान अग्रहस्त पुं० हाथनो आगलो भाग (२)
आंगळीओ (३) सूंढनो आगलो भाग (४) जमणो हाथ
मास अग्रहायण पुं० वर्षारंभ (२) मार्गशीर्ष अग्रहार पुं० राजा तरफथी (ब्राह्मणोने)
अपायेल जमीन अग्राणीक न० आगळ- सैन्य अग्रासन न० प्रथम स्थान ; माननुं स्थान अग्राह्य वि० ग्रहण न करी शकाय तेवं
(२) स्वीकारी न शकाय तेवू अग्रिम वि० अनुक्रममा प्रथम (२) मुख्य (३) उत्तम (४) पुं० मोटो भाई अग्ने अ० आगळ; पहेलां (२)समक्ष; सामे (३) हवे पछी
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