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कावंद
१२७ कंदु पुं०, स्त्री० भठ्ठी (२) दाणा काकपक्ष पुं० जूलफु; कानशेरियुं yजवानुं पात्र
काकपद न० (लखतां रही गयेल) कंदुक पुं० दडो (२) ओशिकू
शब्द वगेरे उमेरवान चिह्न (A) कंदोट पुं० नील कमळ वादळं काकपुष्ट पुं० कोयल कंधर पुं० गरदन; गर्छ; डोक (२) काकपेय वि० छीछरुं कंधरा स्त्री० गळं; गरदन; डोक काकरक, काकरूक वि० कायर; बीकण कंप १ आ० कंप; भ्रूजवू
(२) पुं० स्त्रीवश पुरुष कंप पुं० कंपारो; ध्रुजारो
काकलि (-ली)स्त्री० कोमळ अने मधुर कंपन वि० धूजतुं; कंपतुं (२)पुं० शिशिर अवाज (२) मंद अवाजवाळु एक
ऋतु (३) एक अस्त्र (४)न० धूजवुते वाद्य (चोरो ऊंघता-जागतानी परीक्षा कंपित ('कंप'नुं भू० कृ०) वि० धूजतुं माटे वापरता कहेवाय छे) (२) कंपावेलू; हलावेलु (३) न० । काकवंध्या स्त्री० जेने एक ज वार प्रसव कंपवं ते
थाय तेवी स्त्री कंप्र वि० कंपतुं; हालतुं
काकारि पुं० घुवड कंबर वि० रंगबेरंगी; चित्रविचित्र काकिणि, काकिणिका, काकिनी स्त्री० कंबल पुं० कामळो
कोडी (२) कोडी जेटली किंमतनो कंब वि० रंगबेरंगी; चित्रविचित्र रंगनुं
सिक्को (२) पुं०, न० शंख (३) कंकण ।
काकी स्त्री० कागडी कंडकंठी स्त्री० गळे शंखना जेवी त्रण
काकु स्त्री० क्रोध, शोक के भयमां बोलतां रेखावाळी स्त्री (भाग्यशाळी गणाय) स्वरमां थतो फेरफार (२) करडाकी कंबुग्रीवा स्त्री० शंखना आकारनी डोक के व्यंगमां बोलवू ते (२) जुओ 'कंबुकंठी'
काकुत्स्थ पुं० ककुत्स्थनो वंशज; सूर्यकंब वि० चोरी करना; लुच्चु (२)
वंशी राजाओने लगाडातुं उपनाम पुं० चोर (३) कडु; कंकण
काकोदर पं० साप कंबोज पुं० शंख (२)एक जातनो हाथी
काकोल पुं० कागडो कंस पुं०, न० कांसुं (२) प्यालो
काच पुं० काच कंसक न० कांसु
काठिन, काठिन्य न० कठण होवापणुं कंसविष, कंसहन, कंसारि पुं० कंसने (२) कठोरता (३) अघरापणुं मारनार (श्रीकृष्ण)
काण वि० एक आंखवाळु (२) काणाका स्त्री० पृथ्वी
वाळू; फूटेलं काक पुं० कागडो (२) निंद्य - हलको कालीमात पुं० कुंवारी मानो दीकरो माणस (३) पाणीमां मात्र माथु कातर वि० बीकण (२) व्याकुळ ; बोळीने नाहq ते
क्षुब्ध (३) उत्सुक (४) भयथी चंचळ काकणी स्त्री० जुओ 'काकिणी' बनेलं (आंख इ.) काकतालीय वि० आकस्मिक; अणधार्यु । कातर्य न० भीरुता; बीकणपणुं (काग बेसे ने ताड पडे' - तेना जेवू) कात्कृत वि० तिरस्कृत कालनिद्रा स्त्री० कागडा जेवी-जलदी कावंब पुं० कलहंस (२) बाण (३) न० जागी जवाय तेवी -निद्रा ।
कदंब वृक्ष- फूल
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