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कर्मन्
कर्कटि
१२२ कर्कटि(टी) स्त्री० काकडी; चीभड़ें। - कमळकोश (३) न० कर्णिकार वृक्षकर्कर वि० कठण; मजबूत (२) पुं० पुष्प (सुंदर रंगवाळु होवा छतां गंध हाडकुं (३) मरडियो
विनानुं होवाथी अणगमतुं गणातुं) कर्करी स्त्री० नाळचावाळू पात्र ; झारी कर्णेजप पुं० जुओ 'कर्णजप' कर्कश वि० कठोर; कठण (२) निर्दय कर्णोपकणिका स्त्री० ऊडती वात (३) अत्यंत; तीव्र (४) मजबूत; दृढ
कर्तन न० कापq ते ; छेदन (२) कांतवू ते (५)अति आसक्त (६)व्यभिचारी कर्तनी स्त्री० कातर कर्कशा स्त्री० कंकासियण ; वढकारी
कर्तरिका, कर्तरी स्त्री० कातर (२) ककंधु (-धू) स्त्री० बोरडी झाड
छरी; चप्पु (३) नानी तरवार कर्कारुक पुं० तरबूचनो वेलो (२) न०
कर्तव्य वि० करवा योग्य (कार्य) (२) तेनुं फळ .
कापवा योग्य (३) न० कार्य; कर्म कर्नूर न० सोनुं (२) हरताळ
(४) फरज कर्ण पुं० कान (२)सुकान (३)वासणनो कर्तृ वि० करनारुं कानो, हाथो के कडु (४) त्रिकोणमां कर्दम पुं० कादव (२) कचरो(३)पाप काटखूणानी सामेनी बाजु
कर्पट पुं०, न० जून के फाटेलु वस्त्र कर्णगोचर वि० सांभळवामां आवे तेवू;
(२) कापड सांभळी शकाय ते
कर्पण पुं० एक शस्त्र कर्णजप, कर्णजाप पुं० चुगलीखोर
कर्पर पुं० खोपरी (२) कढाई (३) कर्णताल पुं० हाथीए कान फफडाववा ते
' माटीनुं वासण (४) भांगेला घडानुं कर्णधार पुं० सुकानी ।
कलेडु-ठीबु कर्णपथ पुं० सांभळी शकवानी मर्यादा
कसि पुं०,न०, कसी स्त्री० कपासनो कर्णपरंपरा स्त्री० एक कानेथी बीजे
कर्पर पुं० कपूर
कर्बुर वि० काबरचीतरुं (२) राखोडियु काने सांभळवामां आवर्बु ते कर्णपाश पुं० सुंदर कान
कर्बुरित, कर्बर वि० काबरचीतरुं
कर्मकर पुं० मजूर; कारीगर कर्णपूर पुं० काननी आसपास पहेरातुं
कर्मकार पुं० कारीगर; मजूर (२) लुहार (फूल इ०र्नु) घरेणुं
कर्मकांड पुं०, न० धर्मकार्यो अने धर्मकर्णवेष्ट पुं०, कर्णवेष्टन न० एक जातनुं क्रियाओने लगतो वेदनो भाग कान, घरेणुं; एरिंग
कर्मक्षम वि० कार्य करवाने समर्थ कर्णशष्कुली स्त्री०काननो बहारनो भाग
कर्मठ वि० कार्यकुशळ (२) धार्मिक कर्णाकणि अ० एक कानेथी बीजे काने
कर्मकांडमां मची रहे। (३) उद्योगी कर्णातिक वि० काननी नजीकर्नु
कर्मण्य वि० कार्यकुशळ; होशियार (२) कणिक वि० कानवाळू (२) जेना हाथमां न० उद्योग; प्रवृत्ति सुकान छे तेवू (३) पुं० सुकानी
कर्मन् पुं० विश्वकर्मा (२) न० कार्य; कणिका स्त्री० काननुं धरेणुं (२) वचली क्रिया; काम (३) धंधो; प्रवृत्ति (४)
आंगळी (३) हाथीनी सूंढनो अग्रभाग धर्मकर्म (नित्य-नैमित्तिक-काम्य)(५) (४) कमळनो बीजकोश
नसीब ; पूर्वकर्म (६) परिणाम; फळ कणिकाचल पुं० सुमेरु पर्वत
(७) जेनी उपर क्रिया थती होय ते कर्णिकार पुं० एक वृक्षतुं नाम (२)
(व्या०)
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