SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माने उपस्पर्शन १०७ उपालभ उपस्पर्शन न० आचमन (२)स्नान (३) उपात्त वि० मेळवेलं ; प्राप्त करेलु (२) कोगळाथी मुखशुद्धि करवी ते(४) दान; लई लीधेलं; ग्रहण करेलु (३)गणेलं; बक्षिस (२) भ्रष्ट ; अशुद्ध मानेलु (४) उपयोगमा लीधेलु उपहत वि० हणायेल; ईजा पामेलं; नष्ट उपादा ३ आ० लेवू; स्वीकारवु (२)प्राप्त उपहतक वि० अभागी; दुर्भागी करवं (३)-ने आपq (४) धारण करवू उपहस् १ प० हसवू ; मश्करीमा हसवं; (५)पकडवं; वळगवं (६) उपाडी जवू मश्करी करवी (७) अनुभवq (८)मानवू;गणवू (९) उपहसित वि० हसी काढेलं (२) न० माथे लेवू; शरू करवु (१०)रूप धारण मश्करी; मरकरीमा हसवू ते करवू (११) उपयोगमा लेवू उपहा ३ आ० ऊतरवू; उपर आवी पडवं उपादान न० अंगीकार; स्वीकार (२) -कर्मणि० [उपहीयते घटवू; ओछं लई लेवं ते; पडावी लेवू ते (३) कारण; त माटेनी वस्तुओ समवायी कारण उपहार पुं० भेट ; बक्षिस (२)बलिदान; उपादेय वि० लई शकाय तेवू (२) उपहास पं० मश्करी; ठेकडी। स्वीकार्य (३) पसंद करवा योग्य (४) उपहित वि० अंदर - नजीक - उपर उत्तम ; वखाणवा जेवू मुकायेलं (२) जोडायेलं (३) उपाधियुक्त (४) कामे लीधेलु (५) आपेलं उपाधा ३ उ० नजीक मूकवू; उपर मूकवू उपहत वि० बोलावायेलं (२) आपq (३,पहेरवु (४) उत्पन्न करवू उपहूति स्त्री० बोलाव - तेडq ते (५) पकडq; पकडी राखq (६) करवू; उपह १ प० नजीक लई जq; नजीक बनावq (७) फोसलावq (स्त्रीने) लावq (२) भेट आपवी (३) बलिदान उपाधि पुं० छळ ; कपट ; वंचना (२) आपq (४) पीरसवं; वहेंचवू (५) एकळु विशिष्टता; विशेष गुण (३)पदवी; करवं (६) लई लेवं ; नाश करवो खिताब (४) मर्यादा; निमित्त; हेतु उपाकृ ८ उ० नजीक लाव, (२) (५) संज्ञा; चिह्न (६) कारण ; हेतु बोलाव; आमंत्र (३) अर्प; बक्षवू उपाध्याय पुं० गुरु; शिक्षक (४) प्राप्त कर (कीर्ति) (५)माथे उपानह, स्त्री० जोडो; पगरखं ले; शरू करवं (६) (वधे रवा माटे उपाय पुं० इलाज; युक्ति (२) साधन; के विधि माटे) तैयार करवं __ रस्तो (३)आरंभ; शरूआत (४)पासे उपाख्यान, उपाख्यानक न० नानुं _आवते; आवी पहोंच ते आख्यान(२)सांभळेलो वात कहेवी ते उपायन न० भेट; बक्षिस उपागत वि० आवेलु (२) बनेल (३) उपारत वि. विरत थयेलं; विरमेलुं (२) अनुभवेलु ; पामेलु निवृत्त (३)-मां लागेलं; मग्न । उपागम् ( उप + आ + गम् ) १५० उपारम् १ प० आनंद माणबो (२) उपागच्छति पासे जवं; पासे आव, थोभवू; विरमवू (२) (अमुक स्थिति) पामवी; अनुभववू उपारूढ वि० वृद्धि पामेलु (३) आवी पडQ; बनवू (४)प्राप्त कर उपार्जन न० प्राप्त करवू ते ; कमावू ते उपाचर् १५० नजीक जवू(२)सेवा करवी उपाजित वि० मेळवेलु; कमायेलं (३)आसक्त थर्रा (४) उपचार करवो उपालभ् १ आ० ठपको आपवो; वांक (मांदानो) काढवो (२) काप; वधेरवु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy