________________
ચતુર્થ વર્ગ
રર૫ णिज्झर-णिज्झरइ-निझीयेति-क्षयति-क्षीण थाय छे [-१-२०] णिव-णिहुवह-निधुवति-कामयते-कामना करे छ [८-४-१५] णिआर-णिभारइ-निभालयति-काणेक्षितं करोति-न्यारे छे-निहाळे छेभांखने काणा जेवी करोने जुए.छे [८-४-६६] . णिरिग्ध-णिरिग्घ-निलीयते-संताई जाय छे [८-४-५५] णिव्वड-णिव्वडइ-पृथग् भवति-जुदो थाय छे अथवा स्पष्टो भवति-स्पष्ट थाय छे [८-४-६२] णिछह-णिदहइ-निःस्तम्भति-निष्टम्भं करोति-थंभी जाय छे-जड-बई जाय छे [८-५-६७ णिधोल-णिव्वोल्इ-मन्युना भोष्ठ मलिनं करोति-क्रोधने लीधे के शोकने लीचे होठ बगाडे छे-मोढुं चडावे छे [८-१-६९] जिल्लुंछ-णिल्लुछइ-मुञ्चति-मुके छे [८-४-९१] णिउडु-णिउइ-निवडति-मज्जति-बूडे छे [८-४-१०१] णिग्छल्ल-णिच्छल्लइ । णिज्झोड-णिज्झोडइ -छिनत्ति-छेदे छे[८-४-१२५] णिल्लूर - णिल्लूरह) णिसुढ-णिसुढइ-निस्सोढयति-भाराकान्तो नमति-भारने लीधे नमो जाय छेभारने लीधे वांको वळे छे [८-४-१५८] णिड्डुअ-णिड्डुअइ-निद्रुवति-क्षति-सरे छे-झरे छे (है. व्या० णिटुभ)
[८-४-१७३] णिटुंह-णिटुहुइ-विगलति-गळे छे-टपके छे[८-१-१७५] णिमह-णिम्महइ-गच्छति-जाय छे [८-१-१६२] जिल्लस-णिल्लमइ-उल्लसति-उलसे छे-उल्लास पामे छे[८-१-२०१]
ધાત્વાદેશના પ્રકરણમાં આ બધા ધાતુઓને કહી બતાવ્યા છે માટે મહી નથી ને ધ્યા. णिहिअ-णिक्खसरिअ-णिरुवक्कया यत्कृत-मुषित-अकृतेषु ।
णितिरिडिअं च त्रुटिते, णीसारो मण्डपे चैव ॥३८९॥ पिठुहिम-निष्ठयुत-धुंकेलु, थुकवू । णितिरिडिम-निस्त्रुटित-त्रुटित, तोवू णिक्खसरिभ-निष्कमृत-लुटायेलो-धन । णीसार-नीशार-मंडप हराइ गयुं छे एवो,निष्क-सोनामहोर
दीनारो, सृन-सरी गई छे-एवो णिरुवकय-णिरुपकृत- अकृत-न करवू
૧૫
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org