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पाइअसद्दमहण्णवो
सीत-सीविध
१ मर्यादा । २ एक कुलकी कुलकर (सम ।
सीत देखो शीअ-शीत (ठा ३, ४--पत्र पभ [प्रभ] सीमन्तक नरकावास की सीरि पु[सीरिन] बलभद्र, बलदेव (पास)।
पूर्व तरफ स्थित एक नरकावास (देवेन्द्र सीरिअ वि दे] भिन्न, 'सीरियो भिन्नों सीता देखो सीआ = शीता, सोता (ठा ८- २.), मज्झिम मध्यम] सीमन्तक (पान)।पत्र ४३६, ६--पत्र ४५४) ।
की उत्तर तरफ स्थित एक नरकावास (देवेन्द्र सील सक[शीलय ] १ अभ्यास करना, सीतालोस देखो सीआलीस (सुज्ज २, ३--
२०)। विसि? [विशिष्ट] सीमन्तक प्रादत डालना । २ पालन करनाः 'सोलेजा पत्र ५१)
की दक्षिण दिशा में स्थित एक नरकावास सोलमुजलं' (हित १९); 'सव्वसील सीलह सीतोद देखो सीओ (ठा २, ३-पत्र (देवेन्द्र २१), वित्त पुं["वर्त] सीमन्तक
पव्वज्जगहणेग (श्रा १६) । देखो सलाव ।। की पश्चिम तरफ का एक नरकावास (देवेन्द्र ७२) -
सील न [शील] १ चित्त का समाधान, सीतोदा, देखो सीओआ (परह २, ४२१)
'सीलं चित्तसमाहाणलक्खणं भरणए एय' सीतोया पत्र १३०; सम ८४) सीमंतय न [दे] सीमंत-बालों को रेखा
(उप ५६७ टो)। २ ब्रह्मचर्य (प्रासू २२, विशेष में पहना जाता अलंकार-विशेष (दे सीदण न [सदन शैथिल्य, प्रमत्तता (पंचा
५१; १५४ १६६, श्रा १६ हित १९)। १२, ४६) ।
३ प्रकृति, स्वभावः 'सीलं पयई' (पात्र); सीमंतिअवि[सीमन्तित खण्डित, छिन्न सीधु देखो सीहु (गाया १, १६-पत्र २०६
'कलहसीलं' (कुमा)। ४ सदाचार, चारित्र, (पाप) उवा)।
उत्तम वर्तन (कुमाः पंचा १४, १; परह २, सीभर देखो सीअर (प्रातः कुमा: हे १, सीमंतिणी स्त्री [सीमन्तिनी] स्त्री, नारी,
१-पत्र १९)। ५ चरित्र, वर्तन (हे २, महिला (पान; उर ७२८ टी; सम्मत्त १९१% १८४ षड्)
१८४)। ६ अहिंसा (पएह २, १-पत्र सुपा ७)। सीभर वि [दे] समान, तुल्य (अणु १३१)।"
१६)Jइ पु[जित् ] क्षत्रिय परिव्राजक सीमंधर पुं[सीमन्धर] १ भारतवर्ष में उत्पन्न का एक भेद (प्रौप) ड्ढ वि [य] सीमआ स्त्री [सीमन्] १ मर्यादा। २
एक कुलकर पुरुष (पउम ३, ५३)। २ ऐरवत शील-पूर्ण (मोघ ७८४) परिघर पुन अवधि । ३ स्थिति। ४ क्षेत्र । ५ वेला,
वर्ष का एक भावी कुलकर (सम १५३) । [परिगृह] १ चारित्र-स्थान । २ अहिंसा समय । ६ अण्डकोष, पोता ( षड्)। देखो
३ पूर्व-विदेह में वर्तमान एक पहन देव (पएद २, १-पत्र ६६) मंत, व वि सीमा।
(काल)। ४ एक जैन मुनि, जो भगवान् [वत् ] शील-युक्त (माचा; मोघ ७७७; सीमंकर पु[सीमङ्कर] १ इस अवसपिणी
सुमतिनाथ के पूर्व जन्म में गुरु थे (पउम २०, श्रा ३६) व्वय न [व्रत] अणुव्रत, काल में उत्पन्न एक कुलकर पुरुष का नाम
१७)। ५ भगवान् शीतलनाथ जी का मुख्य जैन श्रावक के पालने योग्य अहिंसा मादि (पउम ३,५३)। २ ऐवत क्षेत्र के भावी
श्रावक (विचार ३७८)। ६ वि. मर्यादा को पाँच व्रत (भग) सालि वि [ शालिन् द्वितीय कुलकर (सम १५३)। ३ वि. मर्यादा
धारण करनेवाला, मर्यादा का पालक (सूम शील से शोभनेवाला (सुपा २४०)। कर्ता (सूत्र २, १, १३)। २, १, १३).
सीलाव सक [शीलय ] तंदुरुस्त करना । सीमंत पुं[सीमन्त] १ बालों में बनाई हुई
सीमा स्त्री [सीमा देखो सीमआ (पापा गा कर्म. सीलप्पए (वव १) रेखा-विशेष (से ६, २०; गउडा उप ७२८ ।
१६८० ७५१, काल; गउड)। गार पुं सीलट न [दे] पुस, खीरा, ककड़ी (दे, टी)। २ अपर काय (गउड ८५) । ३ ग्राम
[कार] जलजन्तु-विशेष, ग्राह का एक भेद ३५; पात्र)। से लगी हुई भूमि का अन्त, सीमा, गाँव का
(पएह १, १---पत्र ७) धर वि [ धर] सीव सक [ सीव ] सीना, सिलाई करना, पर्यन्त भाग (गउड २७३, २७७; उप ७२८ ।
मर्यादा धारक (पडिः है ३, १३४) °ल वि साँधना । भवि. सोविस्सामि (प्राचा)। संकृ. टी)। ४ सीमा का अन्त, हद्दः 'एसो चिय।
[°ल] सीमा के पास का, सीमा के निकट- सीविऊण (स ३५०)। सोमंतो गुणाण दूरं फुरंतारण' (गउड)।
वर्ती; 'सीमाला नरवइणो सब्बे ते सेवमावन्ना' सीवणा स्त्री/सीवना] सीना, सिलाई (उप सीमंत पुं[सीमान्त] १ सीमा का अन्त
(सुपा २२२; ३५२; ४६३; धर्मवि ५६)।
३२२० ४५३० धमाव ५६) पृ. २६८)। भाग, गाँव का पर्यन्त भाग (गउड ३६७
सीर पुंन [सी] हल, जिससे खेत जोतते हैं सीवणी स्त्री [दे] सूची, सूई (गउड) । देखो ४०५) । २ हद्द (गउड ८९६)।
(पउम ११३, ३२, कुमा; पडि); 'संसयवसु- सिविणी।। सीमंत सक [दे. सीमान्तय ] बेचना। हासीरो' (धर्मवि १६) धारि । ["धारिन्] सीवण्णी) स्त्री [श्रीपर्णी] वृक्ष-विशेष (प्रोध संकृ. मीमंतिऊण (राज)।
बलदेव, बलभद्र, राम (पउम २०, १९३) सीवन्नी ४४६ टी पिड ८१, ८२, उप सीमंतग [सीमन्तक] प्रथम नरक-भूमि पाणि पु ["पाणि] वही (दे २, २३, १०३१ टो)। सीमंतय का एक नरका-वास, नरक-स्थान कुमा), सीमंत पु [°सीमन्त] हल से सीविअ देखो सिव्विअ (से १४, २८ दे ४, (निचू १, ठा ३, १-पत्र १२६, सम ६८) फाड़ी हुई जमीन की रेखा (दे)। । ७; अोघभा ३१५)
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